शनिवार, 20 मई 2017

"आँख आना" (Conjunctivitis)


Conjunctivitis

सुर्ख लाल गुलाबी आंखें, उनसे रिसता पानी, सूजी हुई पलके, उनका चिपचिपापन ‘आंख आने’ का पर्याय हैं। बोल-चाल की भाषा का यह पर्याय आंख के रोगी होने का सूचक है जिसे चिकित्सा की भाषा में कंजंक्टिवाइटिस कहा जाता है। Conjunctivitis एक आम वायरल इन्फ़ेक्शन है जो कभी-कभी बैक्टीरिया से भी होता है, इसे आम भाषा में आँख आना कहते हैं .इस बीमारी में आखों के उजले भाग पर संक्रमण हो जाता है और इसका रंग लाल हो जाता है। यह संक्रमण एक आदमी से दूसरे तक आसानी से पहुंचता है। हालांकि कई बार धूल, धुंआ और प्रदूषण से भी यह समस्या हो जाती है।इस बीमारी के दौरान संक्रमित इंसान को आंखों में खुजली, धुंधला दिखना जैसी समस्याएं होती हैं। डॉक्टरों के मुताबिक, दिन में खूब पानी पीना इससे बचने का एक अच्छा उपाय है। इसके अलावा हरी सब्जियों, ताजे फलों का सेवन, अच्छी नींद लेना आदि भी इस बीमारी को दूर रखने में मदद करता है। ठंडी चीजों, जैसे ककड़ी आदि को आखों पर रखने से भी इस मौसम में ताजगी महसूस होती है।
लक्षण :

The eyes feel light prick when the eye comes and it feels like something stuck in the eye. In this disease, pain is also caused by opening an eye and the thickness of the disease also increases due to the disease, so the eyelids stick in the night.
This is an infectious disease. It also spread through the use of patient towels or handkerchief. Today, we are telling you some of its home remedies that you can easily get comfort in this disease.
अचानक एक या दोनों आंखों में जलन आरंभ होती है और किरकिरापन महसूस होता है। आंखें लाल-गुलाबी हो जाती हैं, उनमें सूजन, पानी व मवाद आने की स्थिति प्रकट होती है। सोकर उठने पर पलकों के बाल आपस में चिपके मिलते हैं, आंख खोलना मुश्किल हो जाता है। कभी-कभी दर्द व खाज की भी शिकायत होती है। आंखें थकी सी रहती है, पढ़ना-तेज रोशनी में देखना कठिन हो जाता है। रोग अधिक उग्र होने पर नेत्र-श्लेष्मिका का सूक्ष्म रक्त नाड़ियों से रक्तस्राव भी संभव है।

Symptoms

Bacterial conjunctivitis affects both eyes. The eyes will usually feel gritty and irritated with a sticky discharge.
The eyelids may be stuck together, particularly in the mornings, and there may be discharge or crusting on the eyelashes.

आंख आने` की बीमारी के बचने के कुछ उपाए-
  • संक्रमित आंख को छूने या रगड़ने से बचें।
  • दिन में अपनी आंखों को कई बार ठंडे पानी से धोएं। खासकर दिनभर के काम के बाद घर लौटने पर यह जरूर करें।
  • किसी दूसरे का तौलिया, रूमाल, तकिया, बिस्तर आदि इस्तेमाल करने से बचें।
  • दुपहिया वाहन पर चलते समय हमेशा धूप के चश्मे का इस्तेमाल करें।
  • हमेशा चश्मा पहन कर ही तैराकी करें।
  • जो इस बीमारी से पहले से ही ग्रसित हैं, उनसे दूर रहें।
  • आंखों पर जोर देने वाला कोई काम न करें। घर में बैठकर आराम करें। आपके साथ उनका भी भला होगा, जिनको आपके कारण रोग हो सकता है। प्रभावित आंख के छूने के बाद दरवाजे की चिटकनी, बर्तन, फ्लश की जंजीर आदि को छुएं तो तौलिए के माध्यम से। अन्य लोभ भी रोगी की आंखों से अपनी आंख को दूर रखें।
आँख का लाल होना, दर्द होना और आँख से पानी आना इसके मुख्य लक्षण हैं. आँख आने पर आँखों में कुछ अटका हुआ सा प्रतीत होता है. इस रोग में आँख खोलने से भी दर्द होता है और रोग के बढ़ने पर गाढ़ा -गाढ़ा पदार्थ भी निकलता है इसलिए रात में पलकें चिपक जाती हैं, जो कि पीड़ादायक है.

यह एक संक्रामक रोग है, यह रोगी के तौलिये या रुमाल के इस्तेमाल से भी फैलता है. आज हम आपको इसके कुछ घरेलू उपचारों से अवगत कराते हैं
Conjunctivitis home remedies
1- मुलहठी को दो घंटे तक पानी में भिगोकर रखें. उसके बाद उस पानी में रुई डुबोकर पलकों पर रखें, ऐसा करने से आँखों की जलन व दर्द में आराम मिलता है.

2 -आधे गिलास पानी में दो चम्मच त्रिफ़ला चूर्ण दो घंटे भिगोकर रखें. अब इसे छान लें, इस पानी से दिन में 3 -4 बार छींटें मारकर आँखें धोने से लाभ होता है.

3 -नीम के पानी से आँख धोने के बाद आँखों में गुलाबजल डालें लाभ होगा.

4 -हरी दूब (घास ) का रस निकालें अब इस रस में रुई भिगोकर पलकों पर रखें, आँखों में ठंडक मिलेगी.

5 -हरड़ को रात भर पानी में भिगोकर रखें. सुबह उस पानी को छानकर उससे आँख धोएं, आँखों की लाली और जलन दूर होगी.

6 -दूध पर जमी मलाई उतार  लें, अब इसे दोनों पलकों पर रख कर ऊपर से रुई रखकर पट्टी बांध दें. यह प्रयोग रात को सोते समय करें, लाभ होगा.

7- प्रातःकाल उठते ही अपना बासी थूक भी संक्रमित आँखों पर लगा सकते हैं.
होमियोपैथिक उपचार :
Homeopathic Treatment for Conjunctivitis
Conjunctivitis

हिपर सल्फ (Hepar Sulph) -आँखें आने पर लाली एवं मवाद बनने के लक्षण दिखाई देना, पलको का सूज जाना एवं उनमे टपटप के साथ दर्द महसूस होना,गर्म वस्तु से सिकाई से आराम, ठंढ से तकलीफ का बढ़ जाना, दिन की अपेक्षा रात एवं प्रातःकाल में तकलीफ का बढ़ना जैसे लक्षणों में हिपर सल्फ ३०,२०० शक्ति लाभप्रद है।
कोनायम (Conium Maculatum) - आँख आ जाने की स्थिति में रोगी का निरंतर आखँ बंद रखने की इच्छा होना, सामान्य रौशनी भी सहन न कर पाना जैसे लक्षणों में इस औषधि की ३० शक्ति लाभकारी है। 
क्रोटेलस (Crotalus) - आँख आ जाने पर नेत्र गोलकों के श्वेत भाग में सूजन आ जाना, रोगी का आँखे न खोल पाना, आँखों का रंग पीला पड़ जाना, रेटिना में सूजन न रहने पर भी रक्त स्राव होना, पलकों के अग्र भाग में दर्द, स्त्रियों की माहवारी का समय बढ़ जाना जैसे लक्षणों में इस दवा की ३०, २०० शक्ति काफी लाभकारी है। 
साइलीशिया (Silicea) - कनीनिका पर अल्सर के छाले  पड़ जाना, सूजन का आ जाना, कनीनिका में मवाद का आना, इसमें छेद हो जाना, आसपास के स्थान का निष्क्रिय हो जाना, पलको के बाल  झड़ जाना, लगातार गुहेरियों का होना आदि लक्षणों में साइलीशिया की २०० शक्ति की दवा बेहद लाभकारी है। 
कैलिआयोड (Calcarea Iodata) - शरीर में उपदंश के कारण आँखों का संक्रमित हो जाना, आँखों में भारीपन एवं दर्द का होना, परे मिश्रित औषधियों के सेवन के कारण  आँखों का प्रभावित हो जाना आदि लक्षणों में इस औषधि की ३० शक्ति लाभकारी है। 
सल्फर ( Sulphur) - पलकों और कनीनिका के बीच घर्षण महसूस होना, रोगी को आँखों के अंदर बालू के कण चुभने जैसा महसूस होना, आंखों का सूज जाना, गर्मी के मौसम में अत्यधिक बेचैनी, अग्नि के सम्पर्क में आने पर दर्द और जलन महसूस होना अदि लक्षणों में सल्फर ३० शक्ति की औषधि लाभप्रद है। 
एपिस मेल ( Apis Mellifica ) - निरंतर जलन और खुजली के कारण आँखों की पलकों में सूजन, आँखों में डंक मरने जैसा दर्द, आँखों के कोने से पीब युक्त श्लेष्मा का निकलना जैसे लक्षणों में एपिस मेल की ३० शक्ति उपयोगी है। आंख की सूजन में एपिस का विशेष लक्षण यह है कि आंख के नीचे की पलक सूज कर पानी के थैले जैसी हो जाती है।
Conjunctivitisइयूफ़्रेसिया आफी (Euphrasia Offi.) - आँख आने की किसी भी अवस्था में इयूफ़्रेसिआ २०० लाभकारी है।  कनीनिका पर फफोले एवं छले पड़ जाना, चिपचिपा स्राव का निकलना, आँखों पर अतिरिक्त दबाव महसूस होना, आंखौं से कड़वा और नाक से गर्म स्राव होते रहना, आँखे चपक जाना, धुंधला दिखाई देना, सूर्य की रौशनी में तकलीफ बढ़ जाने पर इस दवा की १० बून्द मूल अर्क एक गिलास साफ पानी में घोलकर आँखों को धोते रहना चाहिए। इसका आई ड्राप भी मिलता है।
एकोनाइट ( Aconite Nap) - ठंढी हवा के लगते ही पलकों में सूजन का बढ़ जाना, आँखों में प्रदाह के कारण शुष्क और लाल हो जाना, आँखों में गर्मी महसूस होना, रोगी का वात एवं गठिया से ग्रसित आदि लक्षणों में इस दवा की ३० शक्ति लाभकारी है। 
हिपर सल्फ (Hepar Sulph) - आँखों में नेत्र शोथ के कारण स्पर्श एवं ठंढी हवा के प्रति अत्यधिक सवेदनशील हो जाना, पलको का सूज कर लाल हो जाना, नेत्र से अधिक पीले  श्लेष्मा का स्राव होना आदि रहने पर २०० शक्ति की दवा लाभकारी है। 

नोट : ऊपर उल्लेखित मुख्य औषधियों के अतिरिक्त बहुत सारी औषधियां हैं जो लक्षणानुसार प्रयोग की जाती हैं। 


रविवार, 23 अप्रैल 2017

होमियोपैथिक फर्स्ट एड बॉक्स (Homeopathic Emergency Kit)

प्राकृतिक या मानव निर्मित आपदा की स्थिति में आप एक होम्योपैथी आपातकालीन किट सहायता से आप चिकित्सा कर सकते हैं। एक तो होम्योपैथिक उपचार सस्ते, प्रभावी होते हैं, और इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है यह चिकित्सा विज्ञान शरीर को उत्तेजित करने के लिए प्राकृतिक पदार्थों का उपयोग करता है। अधिकांश होम्योपैथिक उपचार जड़ी-बूटियों और खनिजों से बने होते हैं, और वे 200 साल पहले की खोज के सिद्धांत पर आधारित होते हैं कि स्वस्थ व्यक्ति में लक्षण पैदा करने वाला पदार्थ बीमार व्यक्ति में उसी लक्षण का इलाज करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। साधारण होमियोपैथी की जानकारी रखने वालों को भी ये किट हर घर में रखना चाहिए। 

Homeopathy is best known for its treatment of acute and chronic disease but it also has a lot to offer emergency medicine; the correct remedy acts with remarkable speed in life-threatening situations.
Homeopathic Emergency Kit



1.पेट्रोलियम 30- कार, बस आदि से यात्रा के दौरान उल्टी आए, जी मिचलाए या चक्कर आएं।

2.इपिकाक 30- सामान्य तौर पर उबकाई आए, उल्टी आए, जी मिचलाए या चक्कर आएं।

3.कार्बोवेज 30-जब रोगी ठंडा पड़ जाता है, नब्ज़ भी कठिनाई से मिलती है, शरीर पर ठंडे पसीने आने लगते हैं, चेहरे पर मृत्यु खेलने लगती है, अगर रोगी बच सकता है तब इस औषधि से रोगी के प्राण लौट आते हैं।

4.नक्स 200- गैस, अफारा, अपच, एसिडिटी, उल्टी, दस्त, कमजोरी, कब्ज।

5.पल्सेटिला 30- उदर विकार यदि आइस्क्रीम, केक, पेस्ट्री, घी या तली- भुनी चीजें खाने से हो।

6.जैलसीमियम 30- मौसम या स्थान परिवर्तन से उत्पन्न जुकाम, नजला, खांसी, बुखार।

7.आर्सेनिक एल्ब 30- सामान्य या पुराना नजला, जुकाम, छीकें, श्वास कष्ट, दर्द, बुखार।

8.अर्निका 200- गुम चोट, मोच, मानसिक थकान, भागदौड़ से उत्पन्न तनाव।

9.एकोनाइट 30- सर्दी में कॉमन कोल्ड से राहत हेतु, नींद लाने के लिए।

10.केलेंडुला- त्वचा के कटने-फटने से उत्पन्न घाव।(मूल अर्क) तथा मूल अर्क को बराबर पानी में मिलाकर घाव साफ करें और कैलेंडुला 30 कैलेंडुला 30 की 6-7 गोली तीन-तीन घंटे पर घाव सुखाने के लिए सेवन करें।

11.मेग फास 200- पेट दर्द, मासिक धर्म के दौरान पेडू में दर्द, चक्कर।

12.बेलाडोना 30- सिरदर्द, कान दर्द, लू लगना, आंख की लाली।

13.प्लेन्टेगो 30- दांत दर्द, कान दर्द, बवासीर।

14.यूप्रेशिया 6- कंजक्टेराइटिस (आंख लाल, सूजन, मवाद, चिपकना, दर्द इत्यादि।

15.सीपिया 200-ल्यूकोरिया (श्वेत प्रदर)

16.हेमेमलिस- रक्त प्रदर। माह में एक से अधिक बार मासिक स्राव या अधिक दिनों तक स्राव।

17.क्रोटन टिग 30- पतले दस्त, पिचकारी की भांति मल निकलना, हरा या फटा हुआ मल।

18.रेस्क्यू रेमेडी- चक्कर, मूच्छा, बेहोशी, घबराहट, बिजली का शाक।

19.ग्रेफाइटिस 30- बच्चा तुतलाकर बोलता हो, अंधेरे से डरता हो, चर्म विकार, एग्जिमा।

20.क्रोल्चिकम 30- मांसपेशियों व जोड़ों में दर्द, लाली, सूजन, पेट खराब, ठंड से कष्ट बढ़े।

21.सेनेगा- सांस फूलना, छाती में कफ का बोझ, सांस लेने में तकलीफ, प्रौढ़ावस्था में।

22.कैलिकेरिया कार्ब 30- बच्चों के दांत निकलते समय के रोग, बच्चा मुंह में उंगली डाले।




मंगलवार, 28 फ़रवरी 2017

यौन दुर्बलता और समस्याओं का आयुर्वेदिक उपचार

यौन दुर्बलता और समस्याओं का आयुर्वेदिक उपचार
हमारे शरीर को स्वस्थ्य और बलवान बनाये रखने के लिए सबसे महत्वपूर्ण जो काम करना चाहिए वह है पथ्य आहार विहार का पालन और अपथ्य आहार विहार का परित्याग। आपने भी इस बात पर गौर किया होगा की आहार विहार में लापरवाही और भूल चूक करते हैं तो या तो डॉक्टर घर पर आता है या हमें डॉक्टर के पास जाना पड़ता है। आज कल के अधिकांश नवयुवक यौन दौर्वल्य, यौन विकार और यौन रोगों से परेशान हैं। इस समस्या पर हमने पहले भी दो आलेख लिखा था जिसमें इन समस्याओं का होमियोपैथिक इलाज पर प्रकाश डाला था। आप इन आलेखों को यहां पढ़ सकते हैं।
०१. Homeopathic treatment of impotence

आज हम  यौन समस्यायों के आयुर्वेदिक और घरेलू उपचार के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं। सर्वप्रथम हमें काम ऊर्जा की महत्ता और उपयोगिता को ठीक से न सिर्फ समझना  होगा बल्कि इसकी कद्र भी करनी होगी। शरीर में अधिक  आयु तक, काम ऊर्जा बानी रहे यह स्त्री-पुरुष दोनों के लिए आवश्यक है। ऐसा तभी सम्भव है जब काम-ऊर्जा की फिजूलखर्ची न  की जाए और इसे बनाये रखने के लिए का क्षतिपूर्ति के लिए वाजीकारक योगों एवं पदार्थो का सेवन किया जाय तथा बलपुष्टिदायक आहार लिया जाय।आयुर्वेद एक बहुत ही सरल चिकित्सा उपाय है। आयुर्वेद के द्वारा यौन रोग, यौन दुर्बलता, आंशिक व नपुंसकता का सही रूप से इलाज किया जा सकता है। भागदौड़ और तनावपूर्ण जिंदगी में लोग अपने भोजन पर पूरी तरह ध्यान नहीं दे पाते, जिसके कारण कई बार बीमारियों का भी शिकार हो जाते हैं। ऐसे में लोगों की सेक्स क्षमता पर भी नकारात्मक असर पड़ता है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं बेहद साधारण घरेलू नुस्खे और  बलपुष्टिदायक योगों के बारे में, जिनसे आप इस समस्या से बहुत जल्द छुटकारा पा सकते हैं।
यौन दुर्बलता और समस्याओं का आयुर्वेदिक उपचार
घरेलू उपचार (Home remedies)

०१. कौंच के शुद्ध बीज २५० ग्राम, २५० गेहूं और २५० ग्राम छिलका रहित उड़द की दाल को दरदरा पीस लें और इसमें १०० ग्राम सफेद मूसली, ५० ग्राम गोखरू, २५ ग्राम गिलोय सत्व, १०० ग्राम ताल मखाना, केशर, जावित्री, जायफल, काली मिर्च, तेजपात, छोटी इलाइची, विदारीकंद, खरैटी  के बीज,बरियारी के बीज, सलाम मिश्री शतावर, असगन्ध, सोंठ, पीपल, बालछड़, अकरकरा, कमलगट्ठा की गिरी के २५-२५ ग्राम बारीक़ पिसा चूर्ण मिला लें। इन मिश्रण  को गाय  के शुद्ध २५० ग्राम घी में भूनते हुए आधा किलो बुरा मिलाकर लड्डू बना लें।  इसे पुरे शीत-काल में खली पेट दूध  के साथ सेवन करे। इसके प्रयोग से यौन दौर्वल्य, नपुंसकता और इन्द्रिय शिथिलता शर्तिया दूर होगी। अपनी पाचन शक्ति के अनुसार ही सेवन करें और पेट को हमेशा साफ रखें। 

०२. सफेद प्याज का रस ४ चम्मच, अदरख का रस ३ चम्मच, और लहसुन का रस ३ चम्मच मिला कर  २ चम्मच शुद्ध शहद मिला लें -इस मिश्रण को सुबह खाली पेट पी लें। इसके आधा घंटा बाद तक कुछ भी खाना पीना नही है। यह नुस्खा रोज ताजा ही तैयार करना चाहिए। कम से कम इसे २१ दिनों तक सेवन करें।  इसको लगातार 2 महीने तक सेवन करने से स्नायविक दुर्बलता, शिथिलता, लिंग का ढीलापन, कमजोरी आदि दूर हो जाते हैं।संजीवनी बूटी की तरह लाभप्रद है। 

०३. दो चम्मच छिलका रहित उड़द की दाल रत को भिंगो दें, सुबह सील पर पीसकर शहद मिला कर  चाट लें। ऊपर से गुनगुना दूध पी कर आधे घंटा तक कुछ बजी न खाये पिए। 


04. ५० छोटी पीपल को लगभग ५0 ग्राम गाय के घी में भूनकर बिल्कुल पाउडर बना लें। फिर उसमें शहद और शक्कर मिलाकर दूध निकालने के बर्तन में डालकर उसी के अंदर गाय का दूध दूह लें। इस दूध को अपनी रुचि के अनुसार सेवन करें। इसको 1-1 चम्मच की मात्रा में गाय के ताजा निकले हुए दूध के साथ सेवन करने से बल और वीर्य की वृद्धि होती है।


05. सुबह सुबह बरगद के पतो से निकला ४ बून्द ४ दूध बतासे में डाल  कर ३०  दिनों तक सेवत करें। यह दूध मुफ्त में मिलता है पर महंगे नुस्खों की बराबरी करता है।  वीर्य सम्बन्धी सभी दोषो को दूर करता है। 



06. बरगद के कच्चे फल छाया में सुखाकर पीस लें और बराबर वजन में पिसी मिश्री मिला कर १०-१० ग्राम दूध के साथ ४० दिनों तक सेवन करने से बलपुष्टि और स्रम्भणशक्ति बढ़ती है। 



07. बबूल की कच्ची पत्तियां, कच्ची फलियां और गोंद को बराबर मात्रा में मिलाकर बारीक चूर्ण बना लें और इनमें इतनी ही मात्रा में मिश्री मिलाकर किसी डिब्बे आदि में रख लें। इस चूर्ण को नियमित रूप से 2 महीने तक 2-2 चम्मच की मात्रा में दूध के साथ सेवन करने से वीर्य की वृद्धि होती है और स्तंभन शक्ति बढ़ती है। इसके अलावा यह योग शीघ्रपतन और स्वप्नदोष जैसै रोगों में बहुत लाभकारी रहता है।


08. एक गिलास  दूध  में १० ग्राम असगन्ध चूर्ण डालकर इतना उबालें की दूध एक चौथाई कम हो जाये, इसमें एक छोटा चम्मच पिसी मिश्री और आधा चम्मच शुद्ध घी  डाल कर सोते समय पियें।  इस चिकित्सा के साथ २-२ चम्मच लोहासव और द्राक्षासव और २ गोलों दिव्य रसायन की गोली का सेवन करें। 



09. घी के साथ उड़द की दाल को भूनकर और इसके अंदर दूध को मिलाकर तथा अच्छी तरह से पकाकर इसकी खीर तैयार कर लें। इसके बाद इसमें चीनी या खांड मिलाकर इसका इस्तेमाल करने से वीर्य में बढ़ोत्तरी होती है तथा संभोग करने की शक्ति भी बढ़ जाती है।

10. 100 ग्राम आंवले के चूर्ण को लेकर आंवले के रस में 7 बार भिगों लें इसके बाद इसे छाया में सूखने के लिए रख दें। इसके सूख जाने के बाद इसको इमामदस्ते से कूट-पीसकर रख लें। रोजाना इस चूर्ण को एक चम्मच लेकर शहद के साथ मिलाकर चाट लें तथा इसके ऊपर से एक गिलास गुनगुना दूध पी लें। इसके सेवन करने खोई हुई शक्ति की प्राप्ति होगी।


11. 100 ग्राम इमली के बीजों को लेकर उन बीजों को पानी में भिगोकर 4-5 दिनों के लिए रख दें तथा पाचवें दिन उन बीजों का छिलका उतारकर उनका वजन करके देखें। उनका वजन करने के बाद उनके वजन से दुगुना पुराने गुड़ को लेकर उन बीजों में मिलाकर रख दें। इसके बाद इन्हें बारीक पीसकर अच्छी तरह से घोट लें। तत्पश्चात इस मिश्रण की चने के बराबर बारीक-बारीक गोलियां बना लें। रात्रि में सहवास 1 से 2 घंटे पहले दो गोलियों को खा लें। इसका सेवन करने से सेक्स शक्ति में अजीब की शक्ति आ जाती है।



12. सेमल की जड़ : 5 मिलीलीटर से 10 मिलीलीटर के आसपास पुराने सेमल की जड़ का रस निकालकर व इसका काढ़ा बना लें तथा इसके अंदर चीनी मिला लें। इस मिश्रण को 6-7 दिनों तक पीने से वीर्य की बहुत ही अधिक बढ़ोत्तरी होती है।



13. विदारीकंद : 6 ग्राम विदारीकन्द के चूर्ण में चीनी व घी मिला लें। इस चूर्ण को खाने के बाद इसके ऊपर से दूध पीने से वृद्ध पुरुष की भी संभोग करने की क्षमता वापस लौट आती है। 

14. मूसली के लगभग 10 ग्राम चूर्ण को 250 ग्राम गाय के दूध में मिलाकर अच्छी तरह से उबालकर किसी मिट्टी के बर्तन में रख दें। इस दूध में रोजाना सुबह और शाम पिसी हुई मिश्री मिलाकर सेवन करने से लिंग का ढीलापन, शीघ्रपतन और संभोग क्रिया की इच्छा न करना, वीर्य की कमी होना आदि रोगों में बहुत लाभ मिलता है।


15. १००-१०० ग्राम शतावरी, गोखरू, तालमखाना, कौंच के बीज, अतिबला और नागबला को एकसाथ मिलाकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण में बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर 2-2 चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम दूध के साथ रोजाना सेवन करने से स्तंभन शक्ति तेज होती है और शीघ्रपतन के रोग में लाभ होता है। रात को संभोग क्रिया करने से 1 घंटा पहले इस चूर्ण को गुनगुने दूध के साथ सेवन करने से संभोग क्रिया सफलतापूर्वक संपन्न होती है। वीर्य का पतला होना, यौन-दुर्बलता और शीघ्रपतन होना जैसे रोगों में इसका सेवन बहुत लाभकारी रहता है। मिर्च मसालेदार भोजन से परहेज करें। 



१४. 25 ग्राम पिसी-छनी हुई मुलहठी, 25 ग्राम पिसी और छनी असगंध, और 12 ग्राम पिसा और छना हुआ बिधारा को एकसाथ मिलाकर शीशी में भर लें। सर्दी के मौसम में इसमें से 3 ग्राम चूर्ण को अच्छी तरह से घुटे हुए लगभग 0.12 ग्राम मकरध्वज के साथ मिला लें। इसके बाद इसे मिश्री मिले दूध के साथ रोजाना सुबह और शाम 3-4 महीनों तक सेवन करने से संभोग शक्ति तेज होती है।

15. लगभग 10-10 ग्राम जायफल, काला अनार, रुमी मस्तंगी, खस की जड़, बालछड़, तालमखाना,दालचीनी, बबूल और शहद, 1 ग्राम कस्तूरी, 9 ग्राम सालममिश्री और 125 ग्राम मिश्री को एक साथ मिलाकर पीसकर छान लें। इस चूर्ण को 6 ग्राम की मात्रा में रोजाना सुबह और शाम 3-4 महीने तक सेवन करने से यौन शक्ति में बढ़ोतरी होती है। 


16. एक सेब में जितनी हो सके उतनी लौंग लगा दीजिए। इसी तरह का एक अच्छा सा बड़े आकार का नींबू ले लीजिए। इसमें जितनी ज्यादा से ज्यादा हो सके, लौंग लगाकर दोनों फलों को एक सप्ताह तक किसी बर्तन में ढककर रख दीजिए। एक सप्ताह बाद दोनों फलों में से लौंग निकालकर अलग-अलग बोतल में भरकर रख लें। पहले दिन नींबू वाले दो लौंग को बारीक कूटकर बकरी के दूध के साथ सेवन करें। इस तरह से बदल-बदलकर 40दिनों तक 2-2 लौंग खाएं। यह एक तरह से सेक्स क्षमता को बढ़ाने वाला एक बहुत ही सरल उपाय है।

17. शतावरी के चूर्ण 20 ग्राम को 150 मिलीलीटर गाय के दूध के साथ मिलाकर 600 मिलीलीटर पानी के अंदर उबाल लें। उसके बाद केवल दूध बाकी रह जाने पर इसे आंच से नीचे उतारकर इसके अंदर चीनी या खांड मिलाकर इस दूध को पीने से खोई हुए शक्ति पुनः प्राप्त हो जाती है। 

18. 500 ग्राम विधारा और 500 ग्राम नागौरी असगंध- इन दोनों को ले लें। फिर इसे अच्छी तरह से कूट-पीसकर तथा इसे छानकर रख लें। सुबह के समय रोजाना इस चूर्ण को 2 चम्मच खा लें। उसके बाद ऊपर से मिश्री मिला हुआ गर्म-गर्म दूध को पी लें। यह बहुत ही कारगर मिश्रण है। 


१९. 6 ग्राम गोखरू का चूर्ण और काले तिल 10 ग्राम को बराबर मात्रा में लेकर इसे 250 मिलीलीटर बकरी के दूध में उबालकर तथा उसे ठंडा करके शहद को मिलाकर खाना चाहिए। इसका सेवन करने से हस्तमैथुन से यौन क्रिया में आई कमजोरी भी समाप्त हो जाती है।



२०. गोंद के लड्डू तथा तिल के लड्डू को खाने से संभोग करने में आई कमजोरी दूर हो जाती है। · रात के समय में 4-5 पीस बादाम को भिगोकर, 2 से 4 पीस अंजीर, नारियल की गिरी, छुहारे, तालमखाना. चिलगोजे, पिस्ता तथा 8-10 पीस मुनक्का, इसमें से किसी भी एक चीज का प्रयोग अपनी शक्ति के अनुसार करने से सेक्स क्षमता में आई कमजोरी दूर हो जाती है।




हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि किसी भी उपाय को आजमाने से पहले अपने चिकित्सक से अवश्य संपर्क करें। आपका चिकित्सक आपकी सेहत के बारे में बेहतर जानता है और उसकी सलाह का कोई विकल्प नहीं है।परिक्षित चिकित्सक से  चिकित्सा कराने से अवश्य ही कामयाबी मिलती है। 



धन्यवाद,

You might also like :

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...