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बुधवार, 24 जनवरी 2018

सांस की नली की सूजन (Bronchitis)-Homeopathic treatment of Bronchitis

Homeopathic treatment of Bronchitis
Bronchitis symptoms & treatments - Illnesses & conditions
सर्दियों के मौसम में ठण्डी हवाओं और नमी  के कारण शरीर के विभिन्न अंगों में परेशानियां होती है, इन्हीं में से एक है सांस की नली की सूजन। रोगी की सांस की नली के आगे का हिस्सा जो टेंटुए से आगे फेफड़ों तक जाता है उस पूरी की पूरी नली को सांस की नली कहा जाता है। जब सूजन आवाज की नली से भी आगे गहराई में चली जाती है उस समय जो खांसी उठती है उसे सांस की नली की सूजन कहा जाता है। इसमें रोगी को ऐसा महसूस होता है जैसे कि सांस की नली में बलगम जमा हुआ है जिसे काफी जोर लगाकर निकालना पड़ता है। सांस नली की दीवारें इंफेक्शन व सूजन की वजह से अनावश्यक रूप से कमजोर हो जाती हैं। इस वजह से इनका आकार नलीनुमा न रहकर गुब्बारेनुमा या फिर सिलेंडरनुमा हो जाता है। कई प्रकार के बैक्टीरिया की प्रजातियां श्वास रोग के मामलों के लिए जिम्मेदार हैं। अगर कोई व्यक्ति अचानक गर्म मौसम से ठण्डे मौसम में पहुंचता है तो अचानक इस बदलाव के कारण रोगी की सांस की नली में सूजन आ जाती है। यह मुख्य रूप से बच्चों में होता है और सूजन वाले वायुमार्ग से साँस लेना मुश्किल होता है। यदि सूजन आगे फेफड़ों में प्रवेश करती है, तो यह निमोनिया पैदा कर सकता है। सांस नली बलगम या सूजन की वजह से संकरी हो जाती है। सिगरेट पीने वालों, फैक्टरी में रसायनों के बीच काम करने वालों और प्रदूषण में रहने वाले लोगों को यह खासतौर पर होती है। सांस की नली में सूजन आने के लक्षणों में रोगी को हल्का-हल्का सा बुखार आता है, ठण्ड लगने लगती है, सूखी खांसी होती रहती है और सांस लेने में रुकावट होती है। अगर रोगी को इन लक्षणों के आधार पर सही उपचार या चिकित्सा न मिले तो उसकी यह सूजन बढ़कर फेफड़ों तक पहुंच जाती है जिसे न्युमोनिया कहा जाता है। रोग के कारगर इलाज के लिए इसके कारणों को ढूंढ़कर और उन पर नियंत्रण करना आवश्यक है। 

How Bronchitis Is Treated


Homeopathic treatment of Bronchitis
What Is Acute and Chronic Bronchitis Symptoms Cure in Hindi

HOMOEOPATHY FOR BRONCHITIS

Top Homeopathic Remedies for bronchitis


सांस की नली की सूजन के रोग मे होमियोपैथिक औषधियों का प्रयोग:

1. ट्युबर्क्युलीनम- सांस की नली की सूजन या फेफड़ों के दूसरे रोग में अक्सर चिकित्सक ट्युबर्क्युलीनम औषधि को सबसे पहले दे देते है क्योंकि उनके मुताबिक इस औषधि से ही रोगी को लाभ मिल जाता है। जिस तरह से सल्फर औषधि को दूसरी औषधियों के बीच-बीच में दे दिया जाता है वैसे ही इसको भी दे सकते है। लेकिन इन दोनों औषधियों में से सिर्फ एक का ही सेवन किया जा सकता है।


2. ब्रायोनिया- रोगी की सांस की नली में दर्द सा होता है जिसके कारण रोगी को ऐसा लगता है जैसे कि उसकी सांस की नली पक गई हो। रोगी अगर ज्यादा तेज आवाज में बोलता है या सिगरेट आदि पीता है तो उसकी खांसी चालू हो जाती है। सांस की नली में दर्द सा होना, ठण्डी हवा से गर्म कमरे में घुसते ही खांसी उठ पड़ना आदि सांस की नली के रोग वाले लक्षणों में ब्रायोनिया औषधि की 30 शक्ति का सेवन करना अच्छा रहता है।

3. ऐन्टिम-टार्ट- रोगी की सांस की नली में सूजन आ जाने के रोग वाले लक्षणों में रोगी की छाती बलगम के मारे हर समय घड़घड़ाती रहती है लेकिन बलगम बहुत कम मात्रा में निकलता है। रोगी को रात में सोते समय इस प्रकार की खांसी होती है जैसे कि उसका दम घुट रहा हो और उसे खांसते-खांसते उठकर बैठना पड़ता है। रोगी की सांस की नलियों में बलगम भरा हुआ रहता है। इस प्रकार के लक्षणों में अगर रोगी को ऐन्टिम-टार्ट औषधि की 3X मात्रा या 30 या 200 शक्ति देना लाभकारी रहता है।

4. फास्फोरस- आवाज की नली तथा सांस की नली में दर्द होने के साथ-साथ अन्दर की ओर जमे हुए बलगम को बाहर निकालने के लिए रोगी को जोर-जोर से खांसना पड़ता है, लेकिन फिर भी रोगी को लगता है कि बलगम तो बाहर निकल ही नहीं रहा। सांस की नली की गहराई में, छाती में, नीचे की तरफ खुरखुरी सी होना, अगर बलगम निकलता है तो वो गाढ़ा सा मवाद वाला निकलता है। जहां से सांस की नली फेफड़ों में जाने के लिए 2 भागों में बंट जाती है उस स्थान पर खुरखुरी सी होने लगती है इस तरह के लक्षणों में रोगी को फास्फोरस या आर्सेनिक ऐल्बम औषधि की 30 शक्ति देने से लाभ मिलता है।


5. फेरम-फॉस- सांस की नली में सूजन के रोगी को जब रोग की शुरुआती अवस्था में किसी प्रकार के लक्षण नजर नहीं आते जैसे उसे बेचैनी महसूस नहीं होती तो ऐकोनाइट औषधि दी जा सकती है। अगर जलन या किसी प्रकार के मानसिक लक्षण उत्पन्न नहीं होते तो बेलाडोना औषधि का सेवन उपयोगी रहता है। फेरम-फास इन दोनों औषधियों के बीच में दी जा सकने वाली औषधि है। इसके अलावा रोगी शरीर से काफी हष्ट-पुष्ट नज़र आता है लेकिन अन्दर से वह बहुत कमजोर होता है। रोगी को सांस लेने में परेशानी होती है, थोड़ी दूर पैदल चलते ही रोगी हांफने लगता है, रोगी को खांसी के साथ खून आने लगता है। इस प्रकार के लक्षणों में भी फेरम-फॉस औषधि की 3x मात्रा या 3 या 6 शक्ति दी जा सकती है।



6. कार्बो-वेज- अगर सांस की नली के नीचे का हिस्सा खुश्क हो और रोगी को ऐसा महसूस हो जैसेकि उसके ऊपर के भाग में खुरखुरी हो रही है जिसके कारण रोगी को खांसी उठती है। रोगी का गला बैठ जाए, रोग सर्दी के या बरसात के मौसम मे बढ़ जाता है। इस रोग के लक्षण शाम के समय या ज्यादा तेज बोलने से भी बढ़ जाते है। रोगी की जीवन जीने की इच्छा बिल्कुल खत्म हो जाती है। इस तरह के लक्षणों में रोगी को कार्बो-वेज की 30 शक्ति लाभदायक रहती है।

7. नक्स-वोमिका- सांस की नली के ऊपर के भाग में चिपचिपे से बलगम का जमना, सांस की नली के उस भाग में जो वक्षास्थि के पीछे है उसमें खुरखुरी सी होना जिससे रोगी को खांसी शुरू हो जाती है। रोगी जब सांस को बाहर छोड़ता है तो उसकी खांसी शुरू हो जाती है। इस तरह के लक्षणों में रोगी को नक्स-वोमिका औषधि की 30 शक्ति का प्रयोग कराना उचित रहता है।

8. कैलकेरिया कार्ब- सांस की नली में खुरखुराहट सी होना जैसे वहां पर कोई पंख सा छू रहा हो जिसके कारण रोगी को खांसी उठने लगती है। रोगी जब भोजन करता है तो उसको खांसी होने लगती है ऐसा लगता है जैसे की सांस की नली में कोई चीज अटकी है जिससे खुरखुराहट सी हो रही है। बलगम का बहुत ही कठिनाई से निकलना, ऐसा लगना जैसे कि बलगम का कोई थक्का सांस की नली के कभी ऊपर आता है और कभी नीचे चला जाता है। इस तरह के लक्षणों में रोगी को कैलकेरिया कार्ब औषधि की 30 शक्ति का सेवन लाभदायक रहता है।

9. इपिकाक- बच्चे को छोटी उम्र में ही सांस की नली में सूजन आने के रोग के लक्षणों में हर समय खांसी होती रहती है, उसकी सांस सही तरह से नहीं आती, छाती हर समय घड़घड़ाती रहती है, उल्टी आने लगती है। रोगी अगर खांसता है या सांस लेता है तो दोनों ही अवस्थाओं में धड़धड़ की आवाज होती रहती है। इस तरह के लक्षणों में रोगी को इपिकाक औषधि की 3, 30 या 200 शक्ति का सेवन कराना चाहिए। यह औषधि रोगी के गले में जमे बलगम को भी निकाल देता है।

10. कैपसिकम- रोगी जैसे ही रात को सोने के लिए लेटता है उसकी आवाज की नली तथा सांस की नली में ऐसा महसूस होता है जैसे की उसमे कीड़े से रेंग रहे हो, सांस की नली में खुरखुराहट के साथ बार-बार छींके सी आती रहना आदि लक्षणों में रोगी को कैपसिकम औषधि की 3 या 6 शक्ति देना लाभदायक रहता है।

11. सल्फर- सांस की नली में लगातार खुरखुराहट सी होना, रोगी की छाती के अन्दर से सूखी या बलगम वाली खांसी का उठना, रोगी का रोग रात के समय बढ़ जाता है। इस प्रकार के लक्षणों में रोगी को सल्फर औषधि की 30 शक्ति देना लाभदायक रहता है।

12. ऐन्टिम-टार्ट- रोगी की सांस की नली में सूजन आ जाने के रोग वाले लक्षणों में रोगी की छाती बलगम के मारे हर समय घड़घड़ाती रहती है लेकिन बलगम बहुत कम मात्रा में निकलता है। रोगी को रात में सोते समय इस प्रकार की खांसी होती है जैसे कि उसका दम घुट रहा हो और उसे खांसते-खांसते उठकर बैठना पड़ता है। रोगी की सांस की नलियों में बलगम भरा हुआ रहता है। फेफड़े के हर प्रकार के रोग में जब छाती में कफ भरा हो, घड़-घड़ करता हो, चाहे जुकाम हो, ब्रोंकाइटिस हो, क्रूप हो, खासी हो, न्यूमोनिया हो, प्लूरो-न्यूमोनिया हो, तब ऐन्टिम टार्ट प्रमुख औषधि का काम करती हैं। इस प्रकार के लक्षणों में अगर रोगी को ऐन्टिम-टार्ट औषधि की 3X मात्रा या 30 या 200 शक्ति देना लाभकारी रहता है। 

13. स्टैनम- सांस की नली में बलगम जमा होने के कारण खुरखुराहट होने से खांसी उठना, रोगी को जितनी भी बार खांसी होती है हर बार रोगी की सांस की नली के नीचे वाले हिस्से में दर्द सा होता है। सांस की नली में से पीले रंग का, बदबूदार, मीठा सा बलगम आना जैसे लक्षणों में स्टैनम औषधि की 3 या 30 शक्ति देना लाभकारी रहता है।

14. कैनाबिस सैटाइवा- सुबह उठने पर रोगी को ऐसा महसूस होता है जैसे कि उसकी सांस की नली में बहुत सारा बलगम जमा हुआ पड़ा है जिसे आसानी से निकाला भी नहीं जा सकता। रोगी अगर ज्यादा खांसता है तो उसकी सांस की नली में दर्द होने लगता है। रोगी के बहुत ज्यादा खांसने पर बलगम ढीला हो जाता है लेकिन रोगी को खांसी लगातार होती रहती है। इन लक्षणों में अगर रोगी को कैनाबिस सैटाइवा औषधि की 3 शक्ति दी जाए तो रोगी को इससे बहुत आराम मिलता है।

विशेष: सांस नली की सूजन में धूम्रपान से बचाना चाहिए, धूल धुऐं से बचाना चाहिए, दूध और इससे बनी चीजों से परहेज करना चाहिए, ज्यादा ठंढ और ज्यादा गर्म स्थानों पर जाने से बचाना चाहिए। सेब के सिरका सेवन करना, हरी सब्जियों का सेवन लाभप्रद होता है। ४ लौंग को आधे ग्लास पानी में उबाल कर गुनगुना ही शहद मिला कर सेवन करना लाभकारी होगा।

रविवार, 13 मार्च 2016

Homeopathic treatment of impotence (नपुंसकता का होमियोपैथिक इलाज)

जैसा की आपने पिछले पोस्ट में स्वप्नदोष (Nocturnal emission) के होमियोपैथिक उपचार के बारे में पढ़ा होगा।
Homeopathic treatment of impotence
यौन दुर्बलता (sexual weakness) में नपुंसकतता (impotence) भी एक बड़ी समस्या है।स्त्री-पुरुष की मैथुन क्रिया में पुरुष पक्ष जब किसी कारणवश सम्भोग क्रिया को पूर्ण नही कर पता या वह किसी असमर्थतावश स्त्री से सम्भोग नही कर पाता तो ऐसी स्थिति  नपुंसकता कहलाती है। 
By nature, men and women complement each other and colleagues have created and are incomplete without each other. When both are together and both are enjoying their lives when their real-life is called successful. The sex life of men and women contribute greatly to success. If the husband and wife's marriage is completely satisfied both mentally and physically so they can stay healthy and depressed. Otherwise, their disease, disease, suffering, discord arises wall slowly shake the foundation of the relationship of husband and wife is a sweet and holy, and finally many terrible outcomes.
नपुंसकता इसको स्तंभन दोष भी कहा जाता है, दुनिया भर में पुरुषों के लिए और जीवन के सभी चरणों में आम है।होम्योपैथिक उपचार इरेक्टाइल डिसफंक्शन से संबंधित समस्याओं की एक विस्तृत रेंज है, जो या तो शारीरिक या मनोवैज्ञानिक समस्याओं या दोनों की वजह से हो सकता है के लिए उत्कृष्ट परिणाम प्रदान करते हैं। यौन रोग से ग्रसित होना कोई  शर्म की बात नहीं है, यदि हम सर्दी बुखार आदि होने पर डॉक्टर से सलाह लेने में संकोच नही करते फिर जनेन्द्रियों से संबंधित किसी भी विकार से ग्रसित होने पर संकोच कैसा ? 
Erectile dysfunction, also called impotence, is common to men worldwide and at all stages of life.
Homeopathic remedies provide excellent results for a wide range of problems related to erectile dysfunction, which may be caused by either physical or psychological problems or both.
                  These are some among the many homeopathic remedies which cater to relieve of impotence specifically.
Homeopathic treatment of impotence
Impotency Treatment
Top Homeopathic Remedies For Impotency
पुरुषों में नपुंसकता की स्थिति आने पर निम्नलिखित होमियोपैथिक अौषधियों का लक्षणानुसार सेवन करना चाहिए.... 

Top 10 Homeopathic medicine for impotence

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