सोमवार, 24 दिसंबर 2012

होमियोपैथिक प्रतिरोधक औषधियाँ (Homeopathic resistant medicine)


अनियमित दिनचर्या होने का प्रभाव शरीर की रोग-प्रतिरोध क्षमता पर पडता है। शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने के कारण कई प्रकार के रोग शुरू होने लगते हैं।यदि उचित समय पर रोग से सम्बिधित प्रतिरोधक औषधी का सेवन किया जाय तो या तो रोग होता ही नही यदि होता भी है तो उसका प्रभाव निम्न रहता है। होमियोपैथी में बहुत सारे रोग प्रतिरोधक औषधियाँ हैं। सुझ बुझ से इनका उपयोग किया जाय तो बहुत हद तक हम रोग को प्रतिरोध कर  सकते हैं। यहाँ पर हम उन्ही औषधियों का संक्षिप्त परिचय करेंगे।


1.गर्भपात :

  • एलेट्रिस फ़ेरिनोसा 6X  (Aletris Farinosa)-समय से बहुत पहले ज्यादा मात्रा में रक्तस्राव,प्रसव जैसा दर्द, रोगिणी हर वक्त थकी थकी,चेहरा पीला और शरीर में रक्त का अभाव।
  • प्ल्म्बम मैट (Plumbm Met.)-अत्यधिक रक्तस्राव,रोगिणी को ऐसा लगता है पैर से पीठ की ओर मानो खिचाव हो रहा है,जम्भाईयाँ  ज्यादा आती है,शरीर में ऐठन होती है तथा छाती में मानो सुइयाँ चुभ रही हो।
  • बाईबर्नम प्रुनिफोलियम Q (Viburmum Prunifolium)-गर्भपात की  प्रकृति, जिन्हें मरी सन्तान होती हो,चोट लग जाने का उपक्रम, गर्भ का  नीचे खिसक जाना।इसमें अक्सर 2-3 महीने का गर्भ नष्ट होता है।
  • क्रोकस सैटाइवस  (Crocus Sativus)-गर्भावस्था में स्त्री के भुर्ण  के ज्यादा हिलने डोलने से कष्ट में लाभप्रद है।
  • सैबाईना (Sabina)-गर्भपात की आशंका में Q या  30 शक्ति। रुधिर का रंग चमकीला लाल,सम्भोग की प्रबल इच्छा और कमर पेट में दर्द मुख्य लक्षण है।
  • ओपियम (Opium)-भय से गर्भपात की आशंका,इतना दर्द की रोगिणी शौच जाने को दौडती है।
  • एको नाइट (Aconite)-भय से प्रबल आशंका,मानसिक उतेजना।
  • कोलोंफाइलम Q  (Caulophyllum )-गर्भाशय की कमजोरी के कारण  गर्भपात में इसे लगातार देते रहें।

2.मुहांसे : 
  • बर्बेरिस एकवी .( )-मूल अर्क 20 बूंद  रोज कुछ दिनों तक सेवन करें। मूल अर्क का 1 भाग गिलास्रिन के 9 भाग में लोशन बना कर चेहरे पर लगाना चाहिए।
  • बार बार मुहांसे निकलते हो तो साइलीसिया 200 प्रति सप्ताह सेवन करे। अन्य दिनों में  साइलीसिया 12X बायोकेमिक दवा का दिन में दो बार सेवन करें।
  • बालको के मुहांसे में कैल्केरिया फास  और बालिकाओं के मुहांसे में कैलकेरिया पिक्रेटा लाभप्रद है।
3.शराब :
  • शराब के प्रतिरोध के लिए क्वेरेक्स  ग्लेनिडम  स्प्रिट का 10 बूंद चम्मच भर जल के साथ दिन में चार बार सेवन करें। दस्त की प्रवाह न करें।
  • स्टेरकुलिया ( ) का सेवन करने से लाभ होता है और हाजमा भी सुधर जाता है।
  • सल्फ्यूरिक एसिड Q  को अल्कोहल में मिला  क़र 15 बूंद दिन में तीन बार सेवन करने से  बहुत लाभ मिलता है।
4. दुश्चिंता
  • परीक्षा के पूर्व दुश्चिंता,घबराहट में अर्जेंन्टम नाइट्रीकम 30 शक्ति की चार चार गोली का सेवन करे। परीक्षा में बैठने के 15 मिनट पूर्व सेवन करें।
5. घबडाहट 
  • स्टेज पर जाने की घबडाहट में जैल्सीमियम और इग्नेसिया लाभप्रद है। इसे 30 शक्ति में लेना चाहिए।
6. फोड़े फुंसियाँ :
  • साईंलिसिया फोड़े फुंसी उत्पन्न होने की प्रवति  को रोक देती है।नाखुनो के विकार की भी उतम औषधि है।बर्वेरिस एव हिपर सल्फ़ भी अवरोधक है। साईंलिसिया एव हिपर उच्च शक्ति में लें और बर्वेरिस का Q लेना चाहिए।
  • गन पाउडर 2X लेने से फोड़े फुंसी होना कम हो जाता है।
  • इचेंनसिया Q भी एक प्रतिरोधक औषधी है।
7.पथरी:
  • पथरी निर्माण के रोकथाम के लिये फ्रेगेरिया की उच्च शक्ति लाभप्रद है।इससे दांतों पर मैल भी नही लगता है।मुत्राश्य की पथरी को हाईड्रेनजिया Q रोकता है।कैलकेरिया रैनेलिस 2X भी लाभप्रद है।
8.यात्रा कष्ट :
  • यात्रा के कष्ट में काकुलस 30,समुद्री यात्रा में टबेकम 30 एव हवाई सफर में बेलेडोना 30 लाभप्रद है।सफर के 15 मिनट पहले सेवन करें 
9.छोटी माता :
  • छोटी माता में एन्टीम टार्ट उच्च शक्ति,रस टाक्स 3x या वेरियोलिनम 200 की एक मात्रा लेने पर छोटी माता (चिकेन पाक्स )का अवरोध होता है, इसका 1M ,10M  एक बार सेवन कर लेना चाहिए। खसरा फैलने के दिनों में प्लस 30 प्रातकाल और एकोनाइट सायंकाल 10 दिनों तक सेवन करे। मेलेड्रीनम 200 की की दो खुराक से चेचक का प्रतिरोध हो जाता है। 
10.सुजन 
  • सर्दी के दिनों में पैर की अगुलियों के सुजन में सल्फर 10M की एक मात्रा का सेवन लाभदायक है।
11.सर्दी जुकाम 
  • बार बार सर्दी जुकाम की होने की स्थिति बनी रहने पर सोरिनम 200 का उपयोग करना चाहिए।जुकाम में फेरम फास30,कलि म्यूर 30 पर्यायक्रम से देना चाहिए।
12. भयमुक्ति 
  • कुतो से भयमुक्ति के लिए बेलेड़ोना,होयासियाम्स  उपयोगी है।कुत्ते के काटने पर लाइसिन एव इड्रोफोबियम 30 का सेवन करना चाहिए।
13. हैजा 
  • हैजा में कुप्रम मेट प्रतिरोधक है। हैजा फैलने के समय इसकी उच्च शक्ति का सेवन  करना  चाहिए।
14.मिर्गी 
  • मिर्गी में कुप्रम मेट एव इग्नेशिया 200 पर्यायक्रम से सप्ताह भर ले।
15. डिप्थीरिया 
  • डिप्थीरिया के रोकथाम के लिए डिप्थीरियम 200,लेक केनाइनम 1M ,मर्क साइमेट्म 200 उपयोगी है। फाईटोलैका Q भी लाभ पहुचाता है।
16. सुजाक 
  • इथुजा सुजाक की प्रतिरोधक औषधि है।
17.सफेद बाल 
  • सफेद बाल के प्रतिरोध के लिए कुछ दिनों तक थायरोडिनम 30 का सेवन करें,फिर 200 शक्ति का सप्ताहिक सेवन करे।
18. सिर दर्द 
  • चियोनैन्थस Q  सिर दर्द की लगातार बनी रहने की स्थिति को रोक देती है। इसे कम से कम एक सप्ताह ले।
19.खुजली 
  • बार बार खुजली होने की स्थिति के प्रकोप को रोकने के लिए आयोडीनम 3X का सेवन करें।
20.हस्तमैथुन 
  • हस्तमैथुन के आदत छुड़ाने के लिए ब्यूफोराना 30 का कुछ दिनों तक सेवन करण चाहिए।
21.आदत 
  • बरबेरिस बल्गेरिस के मूल अर्क से अफीम की आदत छुटटी है। कैलेडियम CM  के सेवन से धुम्रपान की आदत छुट जाती है।

Continuous .........


गुरुवार, 20 दिसंबर 2012

कुछ होम्योपैथिक गुर (Some homeopathic tricks)



जैसा की हमने पहले भी कहा है की होमियोपैथी  चिकित्सा रोग के आधार पर न होकर रोगी के मन और तन के लक्षण का अध्ययन करके किया जाता है। यहाँ पर मैंने प्राथमिक तौर पर एवम आकस्मिक समय पर रोग के आधार पर होमोपथिक दवा बता रहे है। यदि समुचित अनुभव न हो तो डॉक्टर के सलाह पर ही उचित मात्रा में दवा लेना चाहिए।


अम्लता                नेट्रम फ़ॉस (Netrum Phos)
सिर दर्द खाने के बादकाली बाईक्रोम (Kali Bichromicum)
बच्चो का दूध न पीना         मैग म्यूर (Mag Muriatica)
जरायु में अर्बुद आरम म्यूर नेट्रोनेटम 3X(Aurum Mur. Nan.)                    
पीत ज्वर लैकसिस (Lachesis)
स्फीत शिरायें पल्सेटिला (Pulsatilla Nigricans)
बिस्तर में पेसाब स्ट्रोमोनियम(Stramonium)
बच्चो में अवसाद नेट्रम म्यूर (Natrum Mur)
इस्नोफिलिया नेट्रम-सल्फ़,सिना (Natrum sulph,Cina)
गुर्दे में पथरी  कैल्कुली रेनेलिस (Calkuli renalis)
नींद में नकसीर  मर्कसोल (Merc)
नासबुर्द लेम्ना माइनर (Lemna Minor)
एनिमिया एनिमिया
जरायु भ्रंस सीपिया (Cepia)
स्वर भंग                         आर्जेनटम मेटालिकम (Ars.Metallicum)
हकलाना                          स्ट्रोमोनियम (Stramonium)
अस्पस्ट आवाज                बोविस्टा (Bivista)
पित पथरी               केल्केरिया,वेर्वेरिस (Calcarea,Berberis V)
हिचकी                             इग्नेसिया (Ignesia Amara) 
उच्च रक्तचाप                    राउलफिया
रक्त सम्बधी सिरदर्द       बेलोडोना (Beledona)
रक्त मूत्र                           टेरेबिनिथ्ना (Terebinthina)
मधुमेह                            सिफ्लैंडा इन्डिका (Cephalandra Indica)
बिवाई फटना             एगारिकस (Agaricus)
दाद                                  टिल्युरियम (Tellurium)
दाढ़ी में इरप्सन          टिल्युरियम (Tellurium)
स्तन का एकजिमा              ग्रेफैटिस (Graphites)
डाउन्स सिंड्रोम     बैराइटा कार्ब (Baryta Carb)
बबासीर के साथ कमरदर्द         इस्क्युलस 30 (Aesculus Glabra)
आर्थराइटिस              फर्मिका रुफा 30 (Formica Rufa)
पित पथरी शूल                 कैलकेरिया कार्ब 30 (Calcarea Carbonica)
हर्निया (नीबू के बराबर)             लाय्कोपोडियम 200 (Lycopodium Calvatum)
पेशाब बंद दर्द                   एकोनाइट 30 (Aconite)
पीलिया                            चाइना,चेलिडोनियम 30 (China,chelodinum)
बालतोड पकने पर       मर्कसोल (Murc)
पसली में दर्द                     ब्रयोनिया 30 (Broynia)
जीभ फूली तकलीफ मर्कसोल (Murc.)
उल्टियाँ                  इपिकाक (Ipecacuanha)
शरीर के बदलते दर्द       पल्सेटिला 200 (Pulsatilla)
उच्च रक्तचाप           स्पारटीयम 6 (Sparteinum Sulphuricum)
हथेली पर मस्से          डलकामारा (Dulcamara)
गुहेरी                    कैल्केरिया पिक्रेटा  (Picreta)
धब्बे झाईयां             सीपिया 30 (Sipea)
कमर दर्द                        माइक्रोटीनम(Microtinum)
मोच आने पर           रस टक्स२००,रूटा३० (Rux Tox,Ruta)
अंदरूनी चोट           अर्निका ३०/मदर टिंचर (Arnica)
कट जाने पर           कैलेंडुला मदर टिंचर (Clendula)
पीली बर्रे काटने पर     अर्निका ३०/मदर टिंचर (Arnica)
मधुमक्खी काटने पर     एपीस मेल३०/मदर टिंचर (Apis)
गर्दन में अकडन        ब्रायोनिया एल्बा ३० (Broynia)
कमर में अकडन        रस टक्स ३० (Rux Tox)
भूख में कमी                 केरिया पपाया ३० (Crica papaya)

Disclaimer: The information contained in this article is for educational purposes only and should not be used for diagnosis or to guide treatment without the opinion of a health professional. Any reader who is concerned about his or her health should contact a doctor for advice.

गुरुवार, 13 दिसंबर 2012

"We must works hard for Homeopathy"


"We must works hard for Homeopathy"

"We must works hard for Homeopathy"
We are followers of Homeopathy 
must work hand to spread the
massage for Homeopathy
To every corner of the world
To be know by every person of the world
By its unique way of treatment
We must work hard for Homeopathy.
Homeopathy is unique in its way
by its gentle way of treatments
It leads to permanents restoration
of health without any further derangement
principles of it are axiomatic truth 
We must work hard for Homeopathy.
Homeopathy is safer,simple and economical
for people from all walk of life
Preferred by infant,children,young and old
To remove illness and make the body bold
Homeopathy,infect is better than gold
We must work hard for Homeopathy.
It is preventive,effective and curative.



होमियोपैथी दुनिया भर में एक जानी मानी चिकित्सीय पद्धति है।इस पद्धति में मानसिक लक्षणों और रोग के लक्षणों के आधार पर चिकित्सा की जाती है।होमियोपैथी में रोगी की स्तिथि पर लगातार नजर रखते हुए सावधानी पूर्वक इलाज किया जाता है।मैं होम्योपैथि का बिद्वान नही हूँ।कुछ सालो के प्रक्टिस,महान गुरुजनों के सानिध्य और उपयोगी ग्रंथो के अध्ययन से कुछ लिखने का साहस जूटा पाया हूँ। होमियोपैथी चिकित्सा के कुछ बेसिक बाते निम्न है ............


  1. किसी भी बीमारी की चिकित्सा करते समय ---रोगी के धातुगत लक्षण,मानसिक लक्षण और रोग के लक्षणों के साथ जिस दवा के लक्षणों (Majority of symptoms) सबसे अधिक मेल खाता हो,उसी दवा का प्रयोग सर्वप्रथम करना चाहिए।
  2. दवा का परिमाण और मात्रा कम से कम होनी चाहिए। इससे फायदा भी अधिक होता है और प्रभाव भी स्थाई होता है।
  3. इस चिकित्सा पद्धति में धैर्य और गहन अनुभव की जरूरत होती है।
  4. होम्योपैथिक दवाए रोगी की जीवनी शक्ति को उत्प्रेरित कर उसे रोग से मुक्ति दिलाती है।
  5. होम्योपैथिक दवाएँ विश्व के सभी चिकित्सा पद्धति से सस्ती एव निरापद है।
  6. पुराना से पुराना रोग भी होमियोपैथी चिकित्सा से समाप्त किया जा सकता है।
  7. होम्योपैथिक दवाएँ बिलकुल हानिरहित और बिना साइड इफेक्ट के रोग को जद से समाप्त करने में सक्षम है।
  8. होम्योपैथि में रोग प्रतिरोधक दवाएँ भी उपलब्ध है जो हमारे शरीर को रोगप्रतिरोधी बना देते है।
  9. होम्योपैथि में बीमारी के आधार पर नही,मरीज के तन-मन की हालत को गहराई से देखकर ही इलाज किया जाता है।
  10. होम्योपैथि में रोग का नही रोगी का इलाज किया जाता है। इसके लिए रोगी के शरीर के प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत किया जाता है ताकि वह खुद ही बीमारी से लड़ सके।
  11. कोई नयी बीमार, जैसे ज्वर,दस्त आदि में होमेओपैथिक दवाएँ जल्द ही असर दिखाना शुरू कर देती है।जटिल पुरानी बीमारी की चिकित्सा में देर हो सकती है।
  12. दवा लेने से पहले मुहँ को अच्छी तरह साफ कर लेना चाहिए, जीभ एकदम साफ होनी चाहिए क्योकि होमिओ दवाएँ जीभ की नर्व से कIम करती है। दवा की पहली खुराक खाली पेट लेना चाहिए।
  13. होम्योपैथिक दवा लेने के 15-20 मिनट पहले और बाद में कुछ भी खाना पीना नही चाहिए। दवा लेने के बाद कुछ देर शांतिपूर्वक रहें।
  14. दवा सेवन करते समय चूना ,सोडा,लेमोनेड,सिरका एव सुगन्धित पदार्थ का उपयोग न करें। खड़िया या तीते पदार्थो से दन्त मांजना भी बर्जित है।सुगन्धित तेल,तेज गंध वाली चीजे जैसे प्याज,लहसुन,गरम मसाले ,कपूर,शराब,नशीले पदार्थ,चाय-काफ़ी इत्यादि पदार्थो से बचे।
  15. पान,बीडी,गुटखा और सिगरेट से बचना चाहिए क्योकि इनका सेवन करने पर दवाएँ कम असर करती हैं।यदि इनका सेवन करना जरूरी हो तो दवा लेने के एक घंटे आगे पीछे करें।
  16. होम्योपैथिक दवाएँ रखने की जगह पर कपूर,युक्लिप्टस,नैप्थेलैन इत्यादि तीब्र गंध वाली चीजे नही रखना चहिये।दवा की बाटल को धुप से भी बचाना चाहिए।होम्योपैथिक दवा का बक्सा रखने का कमरा साफ-सुथरा और उजालेदार होना आवश्यक है।
  17. दवा की शीशी में या नीचे तली में सफेद फूही या रुई के रेशे की तरह पदार्थ रहने पर या दवा का रंग बदल जाय तो समझ लेना चाहिए के दवा नष्ट हो गयी है। यदि घर में चूना,गंधक आदि जलाने और फिनाइल से धोने की जरूरत हो तो दवा को दुसरे कमरे में हटा लेना चाहिए।
  18. होम्योपैथिक दवाओं के साइड इफेक्ट नही होते है परन्तु कुछ दवाओ में जहर होता है उनका उचित मात्रा से अधिक सेवन करने पर हानि हो सकता है।
  19. होम्योपैथिक दवाएँ तरल रूप होती है। इसे सफेद गोलियों या पाउडर के माध्यम से ली जाती है। दवा लेते समय गोलियों या पाउडर को हाथ के सम्पर्क में आने से बचाना चाहिए। मदर टिंचर दवा को पानी के साथ लेना चाहिए।
  20. एक महत्वपूर्ण बात यदि कोई रोगी आयुर्वेदिक या एलोपथिक चिकित्सा के बाद होम्योपैथिक के शरण में आये तो पहले पहल 6ठी शक्ति की दवा से चिकित्सा आरम्भ करनी चाहिए।होम्योपैथि के छोड़े हुए रोगी को 30वी शक्ति की दवा से शुरू करें।
                                                          

                           



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