तंबाकू और धूम्रपान की लत ने कब हमारे जीवन में जगह बना ली, पता तक नहीं चल पाता। कभी दूसरे को देखकर, तो कभी बुरी संगत में आकर लोग सिगरेट, गुटखा, तंबाकू व दूसरी नशीली चीजों को साथी बना लेते हैं। इन्हें लेने वालों को लगता है कि इन चीजों ने उनकी जिंदगी आसान बना दी है। कई बार कम उम्र में ही खुद को बड़ों जैसा महसूस करने की ख्वाहिश में धुएं के छल्ले उड़ाने की ललक भी इस दलदल में धकेल देती है। जब इससे परेशानी होने लगती है, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। हर कश स्वस्थ जीवन पर जुल्म ढाता है। हर पुड़िया में जिंदगी घुल रही है। तंबाकू की हर चुटकी जिंदगी को चाट रही है।
तंबाकू में नुकसानदायक केमिकल
तंबाकू में चार हजार से ज्यादा नुकसानदायक केमिकल पाए जाते हैं। सिगरेट में 40 ऐसे रसायन हैं, जो कैंसर की वजह बनते हैं। इनमें प्रमुख हैं:
निकोटिन: यह लत लगाने वाला केमिकल है। काफी शक्तिशाली है और तेजी से रिऐक्शन करता है। सिगरेट की लत इसी की वजह से लगती है।
बेंजीन: इसमें कोयला और पेट्रोलियम जैसे ज्वलनशील पदार्थों का गुण होता है। यह सिगरेट के जले रहने में मदद करता है। इसकी वजह से ल्यूकेमिया हो सकता है।
फॉर्मल्डिहाइड: काफी जहरीला होता है। इसका इस्तेमाल शवों को सुरक्षित रखने में किया जाता है। इसकी वजह से कैंसर होने का खतरा रहता है।
अमोनिया: टॉयलेट क्लीनर और ड्रायक्लिनिंग लिक्विड में इस्तेमाल किया जाता है। यह तंबाकू से निकोटिन को अलग कर गैस में बदल देता है।
एसिटोन: इसका इस्तेमाल नेल पॉलिश हटाने में होता है। इसमें ज्वलनशील गुण होता है जो फेफड़ों को काफी नुकसान पहुंचाता है।
टार: स्मोकिंग के समय धुएं के रूप में यह फेफड़े में जमा होता है। स्मोकिंग के दौरान जितनी टार बनती है, उसका 70 फीसदी फेफड़ों में जमा होता है। आर्सेनिक (चूहे मारने का जहर), हाइड्रोजन साइनाइड जैसे काफी जहरीले रसायन भी होते हैं।
धूम्रपान से खतरे:
-एक सिगरेट में 9 मिग्रा निकोटीन होता है, जो जलकर 1 ग्राम रह जाता
है। निकोटीन सीधा शरीर को नुकसान नहीं पहुंचाता लेकिन यह सैकड़ों केमिकल के साथ रिएक्शन कर टार बनाता है। यह टार फेफड़ों के ऊपर परत के रूप में चढ़ जाता है और बाद में उन्हें खत्म करने लगता है। अलग-अलग सिगरेट में निकोटीन का स्तर अलग-अलग होता है। सूखे हुए एक ग्राम तंबाकू में निकोटीन का स्तर 13.7 से 23.2 मिलीग्राम तक होता है।
है। निकोटीन सीधा शरीर को नुकसान नहीं पहुंचाता लेकिन यह सैकड़ों केमिकल के साथ रिएक्शन कर टार बनाता है। यह टार फेफड़ों के ऊपर परत के रूप में चढ़ जाता है और बाद में उन्हें खत्म करने लगता है। अलग-अलग सिगरेट में निकोटीन का स्तर अलग-अलग होता है। सूखे हुए एक ग्राम तंबाकू में निकोटीन का स्तर 13.7 से 23.2 मिलीग्राम तक होता है।
* फेफड़ों का कैंसर : सबसे अधिक असर मनुष्य के
फेफड़ों पर पड़ता है। 90 प्रतिशत फेफड़ों का कैंसर पुरुषों में
और 80 प्रतिशत महिलाओं में होता
है।
* मुँह का कैंसर : भारत वर्ष में कैंसर के मरीजों की कुल संख्या में 40 प्रतिशत मरीज मुँह के कैंसर से पीड़ित हैं जिसका एकमात्र कारण धूम्रपान एवं तंबाकू का सेवन है। मुँह का कैंसर अगर प्रारंभिक अवस्था में पता चल जाए तो इसका इलाज संभव है।
* बर्जर डीसीज : अधिक धूम्रपान से पाँव की नसों में बीमारी पैदा हो जाती है। कभी-कभी तो पाँव भी काटना पड़ जाता है।
* हृदय रोग : स्ट्रोक व हार्ट अटैक की अधिक संभावना रहती है। धूम्रपान से उच्च रक्तचाप व कार्डियोवेस्कूलर बीमारियाँ अधिक होती हैं।
* मोतियाबिंद : धूम्रपान करने वालों में मोतियाबिंद होने की 40 प्रतिशत अधिक संभावना रहती है।
* बहरापन : धूम्रपान करने वाले की सुनने की शक्ति कम हो जाती है। बहरेपन की प्रक्रिया शुरू हो जाती है।
* पेट की बीमारी : पेट में छाले हो जाते हैं, स्मोकर्स अल्सर का इलाज कठिन है एवं ये छाले बार-बार होते हैं।
* हड्डियों के रोग : आस्टियोपोरोसिस होता है, हड्डी की डेन्सिटी कम हो जाती है। फ्रेक्चर होने की स्थिति में हड्डी जुड़ने में 80 प्रतिशत अधिक समय लगता है।
* चेहरे पर झुर्रियाँ : धूम्रपान करने वाले की चेहरे की चमड़ी समय से पूर्व बूढ़ी हो जाती है क्योंकि चमड़ी का लचीलापन कम हो जाता है व आदमी उम्र से पहले बूढ़ा होने लगता है।
* मुँह के अन्य रोग :अगर आप लम्बें समय से धुम्रपान कर रहे है तो अब आप अपने दांतों और मसूड़ो की ठीक से देख-रेख शुरू कर दिजिए। दरअसल धूम्रपान करने से दांत पीले होने के साथ-साथ मुंह से बास और मसूड़ों के खराब होने संबंधी बीमारियां पैदा होती है। एक सोध के अनुसार धुम्रपान ना करने वालों के मुकाबले धुम्रपान करने वालों के दांत ज्यादा कमजोर होते है और उनके टूटने की संभावना भी काफी अधिक होती है, साथ ही मसूड़ों में जलन और सूजन संबंधी दिक्कतें भी पैदा होती है।
* मुँह का कैंसर : भारत वर्ष में कैंसर के मरीजों की कुल संख्या में 40 प्रतिशत मरीज मुँह के कैंसर से पीड़ित हैं जिसका एकमात्र कारण धूम्रपान एवं तंबाकू का सेवन है। मुँह का कैंसर अगर प्रारंभिक अवस्था में पता चल जाए तो इसका इलाज संभव है।
* बर्जर डीसीज : अधिक धूम्रपान से पाँव की नसों में बीमारी पैदा हो जाती है। कभी-कभी तो पाँव भी काटना पड़ जाता है।
* हृदय रोग : स्ट्रोक व हार्ट अटैक की अधिक संभावना रहती है। धूम्रपान से उच्च रक्तचाप व कार्डियोवेस्कूलर बीमारियाँ अधिक होती हैं।
* मोतियाबिंद : धूम्रपान करने वालों में मोतियाबिंद होने की 40 प्रतिशत अधिक संभावना रहती है।
* बहरापन : धूम्रपान करने वाले की सुनने की शक्ति कम हो जाती है। बहरेपन की प्रक्रिया शुरू हो जाती है।
* पेट की बीमारी : पेट में छाले हो जाते हैं, स्मोकर्स अल्सर का इलाज कठिन है एवं ये छाले बार-बार होते हैं।
* हड्डियों के रोग : आस्टियोपोरोसिस होता है, हड्डी की डेन्सिटी कम हो जाती है। फ्रेक्चर होने की स्थिति में हड्डी जुड़ने में 80 प्रतिशत अधिक समय लगता है।
* चेहरे पर झुर्रियाँ : धूम्रपान करने वाले की चेहरे की चमड़ी समय से पूर्व बूढ़ी हो जाती है क्योंकि चमड़ी का लचीलापन कम हो जाता है व आदमी उम्र से पहले बूढ़ा होने लगता है।
* मुँह के अन्य रोग :अगर आप लम्बें समय से धुम्रपान कर रहे है तो अब आप अपने दांतों और मसूड़ो की ठीक से देख-रेख शुरू कर दिजिए। दरअसल धूम्रपान करने से दांत पीले होने के साथ-साथ मुंह से बास और मसूड़ों के खराब होने संबंधी बीमारियां पैदा होती है। एक सोध के अनुसार धुम्रपान ना करने वालों के मुकाबले धुम्रपान करने वालों के दांत ज्यादा कमजोर होते है और उनके टूटने की संभावना भी काफी अधिक होती है, साथ ही मसूड़ों में जलन और सूजन संबंधी दिक्कतें भी पैदा होती है।
निकोटिन की लत के लक्षण :
अगर नीचे दिए गए लक्षण नजर आने लगें तो समझ लेना चाहिए कि इंसान को निकोटिन की लत लग चुकी है।
-भूख कम महसूस होना।
-अधिक लार और कफ बनना।
-प्रति मिनट दिल की धड़कन 10 से 20 बार बढ़ जाती है तो यह लत का लक्षण है।
-छोटी बात पर भी बेचैनी महसूस होना।
-ज्यादा पसीना आना और उल्टी-दस्त होना।
-हर काम करने के लिए तंबाकू की जरूरत महसूस होना।
-निकोटीन लेने की इच्छा बढ़ जाना।
-चिंता बढ़ना, अवसाद, निराशा आदि महसूस होना।
-सिर दर्द होना और ध्यान केंद्रित करने में दिक्कत होने लगे तो भी इसे निकोटिन की लत का लक्षण माना जाता है।
कैसे बनते हैं चेन स्मोकर
जब कोई सिगरेट या बीड़ी पीता है तो ब्रेन में लगभग 10 सेकंड और उसके बाद सेंट्रल नर्वस सिस्टम में 5 मिनट तक निकोटिन का असर रहता है। हालांकि स्मोकिंग करने से थोड़ी देर के लिए काम करने की क्षमता बढ़ती है, लेकिन बाद में शरीर सुस्त होने लगता है। धीरे-धीरे काम करने की क्षमता कम होती जाती है और फिर धूम्रपान की जरूरत महसूस होती है। बार-बार इस तलब को मिटाने की कोशिश में इंसान चेन स्मोकर हो जाता है।
निकोटिन रिप्लेसमेंट थेरपी :
निकोटिन ही वह केमिकल है, जो बार-बार स्मोकिंग करने को मजबूर करता है। इससे मुक्ति पाने के लिए निकोटिन रिप्लेसमेंट थेरपी दी जाती है। इसमें निकोटिन लॉजेंज (Nicotine Lozenges), ट्रांसडर्मल निकोटिन (Transdermal Nicotine), निकोटिन इनहेलर (Nicotine Inhaler), निकोटिन नेजल स्प्रे (Nicotine Nasal spray), निकोटिन गम्स (Nicotine Gums) का प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा, निकोरेट-200 या 400 लिया जा सकता है। यह च्यूइंग-गम है। इन दवाओं को डॉक्टर की सलाह से ही लेना चाहिए। एक्सपर्ट के मुताबिक इन तमाम दवाओं को तब-तब लेने की सलाह दी जाती है, जब-जब सिगरेट की बहुत ज्यादा तलब महसूस हो। धीरे-धीरे इसे कम किया जाता है। बाद में स्मोकिंग की लत छूट जाती है। जो कभी-कभार शौकिया स्मोकिंग करते हैं, उन्हें इन दवाओं का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
होमियोपैथी :
होमियोपैथी में ये दवाएं दी जाती हैं, लेकिन इन्हें किसी विशेषज्ञ से पूछकर ही लेना चाहिए। डॉक्टर लक्षण और स्थिति के आधार पर ही दवा और डोज तय करते हैं।
-प्लैंटेगो मेजर (Plantago Major) निकोटिन की वजह से होने वाली सुस्ती और अनिदा से राहत दिलाती है।
-डैफ्ने इंडिका (Daphne Indica) तंबाकू और उससे बनी चीजों की इच्छा खत्म कर देती है।
-कैलेडियम सेग्विनम (Caladium Seguinum) तंबाकू लेने की इच्छा को खत्म कर देती है।
-टबैकम (Tabacum) तंबाकू लेने वाले को उस स्थिति में ला देती है कि तंबाकू लेने की इच्छा होने से उबकाई आने लगती है।
-इपिकॉक (Ipecac) ज्यादा उबकाई और उलटी होने पर फायदा करती है।
-आर्सेनिक अल्बम (Arsenic Album) तंबाकू चबाने के बुरे प्रभावों से राहत दिलाती है।
-नक्स वोमिका (Nux vomica) स्मोकिंग के बाद गैस्ट्रिक की स्थिति में राहत दिलाती है।
-फॉस्फोरस (Phosphorus) धड़कन बढ़ने और यौन शक्ति कमजोर पड़ने पर काम करती है।
आयुर्वेदिक दवाएं :
तंबाकू से संबंधित नशे से मुक्ति पाने के लिए नीचे लिखी आयुर्वेदिक दवाओं का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। इन दवाओं का इस्तेमाल करने से धूम्रपान करने वालों को काफी फायदा मिलता है।
-2 ग्राम फिटकरी का फूला, 3 ग्राम गोदंती भस्म और 15 पत्ते सत्व सत्यानाशी का मिश्रण बनाकर पाने के पत्ते में डालकर चबाएं।
-मुलहठी और शरपुंखा सत्व का मिश्रण कत्थे की तरह पान पर लगाकर 15 दिन तक रोज सुबह नाश्ते के बाद लें।
-4 ग्राम आमली चूर्ण, 10 ग्राम भुनी हुई सौंफ, 4 ग्राम इलायची के बीज, 4 ग्राम लौंग, 2 ग्राम मधुयष्ठी, 1 ग्राम सोनामाखी भस्म, 10 ग्राम सूखा आंवला, 7-8 खजूर और 20 मुनक्का मिलाकर पीस लें। एक पैकेट में अपने साथ रखें। जब नशे की तलब महसूस हो तो एक चुटकी मुंह में डाल लें। धीरे-धीरे नशे से मन हट जाएगा।
-बड़ी सौफ को घी में भुनकर चबाने से सिगरेट से नफरत होने लगती है।
- ऐरोबिक से भी सिगरेट की तलब कम होती है।
- मुंह में गाजर, लौंग, इलायची, चिंगम जैसी वस्तु मुंह में रखें। इससे सिगरेट की तलब कम होती है।- ऐरोबिक से भी सिगरेट की तलब कम होती है।
वैकल्पिक तरीके:
ई-सिगरेट (इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट)
ई-सिगरेट के मामलों से जुड़े विशेषज्ञ अंकित गौड़ का कहना है कि इससे शत-प्रतिशत निकोटिन के जीरो लेवल तक पहुंच जाने का दावा तो नहीं किया जा सकता, लेकिन सिगरेट छोड़ने में इससे मदद जरूर मिलती है। इसमें कार्टेज में अलग-अलग स्तर में निकोटिन डाला जाता है। एक अध्ययन से पता चलता है कि जब कोई सिगरेट की 15 कश लेता है तो उसके अंदर 1 से 2 मिलीग्राम निकोटिन जमा होता है, जबकि ई-सिगरेट में 16 मिलीग्राम निकोटिन वाले कार्टेज का इस्तेमाल करने से इतनी ही कश लेने पर 0.15 मिलीग्राम निकोटिन जमा होता है। स्वास्थ के लिहाज से यह तरीका भी सही नहीं है क्योंकि इसके जरिए भी निकोटिन तो शरीर में जाता ही है। इसकी मदद से निकोटिन के स्तर को कम किया जा सकता है और धीरे-धीरे कोई स्मोकर निकोटिन के जीरो लेवल तक पहुंच सकता है। पान की दुकानों पर, दवा की दुकानों पर और इंटरनेट के जरिए इसे खरीदा जा सकता है। पूरी किट 1 से 2 हजार तक मिल जाती है। इससे इतनी कीमत में लगभग 500 सिगरेट पी जा सकती हैं।
हर्बल सिगरेट:
धूम्रपान छोड़ने के लिए हर्बल सिगरेट की भी मदद ली जा सकती है। आयुर्वेदिक दवाएं बनाने वाली कंपनियां हर्बल सिगरेट बना रही हैं। इनमें पुदीना, वाइल्ड लेटिस (सलाद पत्ता), कैट्रिनप (एक प्रकार की सुगंधित वनस्पति), कमल के पत्ते, मकई के रेशे, मुलेठी की जड़ें आदि के सूखे चूर्ण का इस्तेमाल होता है। जब धूम्रपान की तलब महसूस हो तो इसे इस्तेमाल किया जा सकता है। इसमें भी धुआं फेफड़े में जाता है, इसलिए पूरी तरह से इसे भी ठीक नहीं माना जा सकता। शौकिया तौर पर कभी इसका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। पांच से दस रुपये में आयुर्वेदिक दवाओं की दुकान पर मिल जाती है।
मुद्रा, ध्यान और योगाभ्यास:
किसी प्रकार की लत होने से व्यक्ति का आत्मविश्वास कमजोर होने लगता है। सिगरेट, तंबाकू, गुटखा, पान मसाला जैसे नशीले पदार्थों का सेवन करने वाले भी अगर मुद्रा, ध्यान और योगाभ्यास करते हैं तो उनका आत्मबल बढ़ता है। ऐसे में इन लतों को त्याग पाने की इच्छा शक्ति उनके अंदर पैदा होती है।
ज्ञान मुद्रा
दाहिने हाथ के अंगूठे को तर्जनी के टिप पर लगाएं और बायीं हथेली को छाती के ऊपर रखें। सांस सामान्य रहेगा। सुखासन या पद्मासन में बैठकर भी इस क्रिया को किया जा सकता है। लगातार 45 मिनट तक करने से काफी फायदा मिलता है।
ध्यान
ध्यान करने से शरीर के अंदर से खराब तत्व बाहर निकल जाते हैं। एकाग्रता लाने के लिए त्राटक किया जाता है। इसमें बिना पलक झपकाए प्रकाश की लौ को लगातार देखने का अभ्यास किया जाता है। एक समय ऐसा आता है जब बस बिंदु दिखाई देता है। ऐसी स्थिति में कुछ समय तक रहने की कोशिश करनी चाहिए।
कुछ क्रियाएं
कुंजल क्रिया: नमक मिला गुनगुना पानी भरपेट पीकर इसकी उल्टी कर दें। इससे पेट के ऊपरी हिस्से का शुद्धिकरण हो जाता है।
बस्ती: इस क्रिया के माध्यम से शरीर के निचले हिस्से की सफाई की जाती है। इसे एनीमा भी कहते हैं।
अर्द्ध शंख प्रक्षालन: यह बड़ी आंत की सफाई और कब्ज मिटाने के लिए किया जाता है। इसमें चार लीटर गुनगुने पानी में स्वाद के मुताबिक नमक मिला लें। पानी को पांच भागों में बांटकर बारी-बारी से पीएं और क्रमश: कागासन, ताड़ासन, कटिचक्रासन, त्रियक, भुजंगासन, स्कंधासन नौ-नौ बार करें। क्रियाएं तब तक करें जब तक मल विसर्जन की जरूरत महसूस न हो। मल त्याग तब तक करें, जब तक उसकी जगह पानी न आने लगे। क्रिया के बाद ठंडे पानी का सेवन न करें। ठंडी हवा से बचें। मूंग दाल, चावल की खिचड़ी, शुद्ध घी में मिलाकर खाएं। खाते वक्त पानी न पीएं। कुंजल, बस्ती और अर्द्ध शंख प्रक्षालन हफ्ते में दो बार करने की सलाह दी जाती है। इन क्रियाओं को किसी योग प्रशिक्षक की देख-रेख में ही करना चाहिए।
खानपान:
नेचरल फूड खासकर फल और सब्जियों में कुछ ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो धूम्रपान करने वाले के स्वास्थ्य को ज्यादा नुकसान होने से रोकते हैं। दूसरी तरफ, ये फल और सब्जियां स्मोकिंग छुड़ाने में भी मददगार होती हैं। इनमें विटामिन सी, विटामिन ए, जिंक और सेलेनियम पाए जाते हैं। नीचे दी गई चीजें खानपान में शामिल करनी चाहिए:
इन्हें लें:
-संतरा, नीबू, अंगूर, केले, सेव, अनानास, नाशपाती, पपीता, आम, अनार, नारियल।
-फूलगोभी, पत्तागोभी, मूली, पालक, गाजर, लहसुन, बेरी, मटर, स्ट्रॉबेरी, अंजीर, बीन, आलू, सोयाबीन, टमाटर, धनिया।
इनसे बचें:
उच्च वसा वाला खान: मीट, मक्खन, दूध व दूसरे डेरी प्रॉडक्ट। पहले का पका हुआ या पैकेटबंद भोजन जिसमें काफी मात्रा में फैट होता है।
कैफीन: कैफीन और दूसरे उत्तेजक पदार्थों का इस्तेमाल कम कर देना चाहिए। ये चीजें स्मोकिंग छोड़ने वालों में एंजाइटी बढ़ाती हैं।
इन पर भी ध्यान दें:
-धूम्रपान बंद करने और गुटखा चबाना छोड़ने के लिए पहले उसकी मात्रा कम करें।
-मन मे ठोस निश्चय करके कोई एक दिन निश्चित कर लें कि फलां दिन से वीडी सिग्रेट नही पिऐगें।
-सभी मित्रों और परिजनों से कहें कि आपने सिगरेट और गुटखा छोड़ दिया है। ऐसा करने से आपका दोस्त इसे लेने के लिए बाध्य नहीं करेगा।
-मन मे ठोस निश्चय करके कोई एक दिन निश्चित कर लें कि फलां दिन से वीडी सिग्रेट नही पिऐगें।
-सभी मित्रों और परिजनों से कहें कि आपने सिगरेट और गुटखा छोड़ दिया है। ऐसा करने से आपका दोस्त इसे लेने के लिए बाध्य नहीं करेगा।
-इन लतों को छोड़ने की वजहों को दिन में दो-चार बार दुहराएं।
-उत्प्रेरक के रूप में काम करने वाली आदतों को छोड़ें मसलन चाय, शराब, कॉफी लेने या भोजन के बाद सिगरेट या गुटखे की तलब।
-अपने पास लाइटर, माचिस, गुटखे की पुड़िया, तंबाकू रखना छोड़ दें।
-तनाव की स्थिति में घर या ऑफिस से बाहर टहलने न निकलें।
-सिगरेट या गुटखे की तलब हो तो कुछ पसंदीदा चीजें चबाएं।
-मेटाबॉलिज्म बढ़ाने के लिए दिन भर में पांच बार खाएं लेकिन थोड़ा-थोड़ा खाएं।
-अपने भोजन में नमक का ज्यादा इस्तेमाल न करें।
-क्षमता के मुताबिक रोजाना व्यायाम करें।
उपरोक्त बातो को अपने जीवन मे अपना कर आप सिग्रेट रुपी मीठे जहर से बच सकते हैं।
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स्मोकिंग इफेक्ट से बचाए 'स्मोकर्स डाइट'
स्मोकर्स डाइट स्मोकिंग से होने वाले साइड इफेक्ट्स को काफी हद तक कम कर देती है। अगर आप स्मोकिंग पर कंट्रोल नहीं कर पा रहे हें, तो हेल्दी रहने के लिए आपको स्मोकर्स डाइट को लेना बेहद जरूरी है:
अगर आपको स्मोकिंग की लत पड़ चुकी है, तो आपको होने वाली प्रॉब्लम्स से बचने के लिए आपको उसे छोड़ने की कोशिश करनी चाहिए। बेशक, आप ऐसा बखूबी कर सकते हैं, जरूरत है बस मेंटली प्रिपेयर होने। हो सकता है कि इसमें थोड़ा समय लग जाए, लेकिन आपको इसे लेकर परेशान नहीं होना चाहिए। दरअसल, तब आप स्मोकर्स डाइट लेकर सिगरेट के साइड इफेक्ट्स से जो बच सकते हैं।
एक्सपर्ट डॉ. विजय शुक्ला बताते हैं, 'स्मोकिंग करने से कैंसर, हार्ट डिसीज, स्ट्रोक, कोल्ड और कफ जैसी प्रॉब्लम्स हो जाती हैं। आमतौर पर ये दिक्कतें स्मोकिंग ज्यादा करने और न्यूट्रिशंस फूड कम खाने से होती हैं। स्मोकिंग के बाद बॉडी में विटामिन सी, ई, जिंक, कैल्शियम, फ्लोट और ओमेगा- थ्री की कमी हो जाती है। अगर वे खाने के जरिए इन चीजों को ले लेते हैं, तो बॉडी डैमेज होने के चांस कम हो जाते हैं।'
विटामिन सी
स्मोकिंग करने वाले इंसान के लिए विटामिन सी बेहद जरूरी है। इसलिए दिनभर में एक खट्टा फल जरूर खाएं। ऑरेंज, वॉटर मेलन और टोमैटो ये सभी विटामिन सी से भरपूर होते हैं। ये आप पर अटैक कर रही कई बीमारियों से लड़ने में आपकी मदद करते हैं। दरअसल, बॉडी में विटामिन सी की कमी होने से स्मोकिंग का बेहद नेगेटिव असर पड़ता है। इससे इम्यून सिस्टम वीक हो जाता है। रिसचर्स के मुताबिक, रोजाना 1000 मिलीग्राम विटामिन ई लेने से स्मोकिंग का रिस्क फैक्टर 45 फीसदी कम हो जाता है। यही नहीं, विटामिन सी स्मोकर्स में होने वाली कॉमन गम प्रॉब्लम से भी आपको बचाए रखता है।
ग्रीन टी
स्टडीज से पता चला है कि अगर आप रोजाना छह से सात कप ग्रीन टी पीते हैं, तो आपको स्मोकिंग से होने वाले साइड इफेक्ट्स 40 से 50 फीसदी कम हो जाते हैं। ग्रीन टी में एंटी ऑक्सिडेंट होते हैं, जो बॉडी को डिटॉक्स करने में मदद करते हैं। स्मोकिंग करने से बैड ब्रीथ की प्रॉब्लम हो जाती है। ऐसे में ब्रीथ को फ्रेश रखने में भी ग्रीन टी बेहद काम आती है। यही नहीं, ग्रीन टी कैंसर के रिस्क को भी कम करती है। यह इम्यून सिस्टम को भी ठीक रखती है, जिससे आप स्किन की प्रॉब्लम से भी बचे रहते हैं।
ग्रीन वेजीटेबिल
ग्रीन वेजीटेबिल्स में करोटिनॉयड्स नाम का एक खास तत्व होता है। हरी सब्जियों में मौजूद ये तत्व स्मोकर्स केलिए खास फायदेमंद है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि ग्रीन वेजीटेबिल्स खाने से कैंसर का रिस्क 20 फीसदी कम होजाता है। इसलिए पालक और ब्रोकली जैसी सब्जियों को अपनी डाइट में जरूर शामिल करें।
केप्सिकम
केप्सिकम्स एंटी ऑक्सिडेंट्स से भरपूर होते हैं। स्मोकिंग करने वालों की डाइट में इनका होना बेहद फायदेमंदहोता है। जहां तक हो सके, केप्सिकम्स को कच्चा खाने की कोशिश करें। इन्हें अधिक फ्राई व पकाएं नहीं।
लहसुन
सलाद, शोरबे व करी में लहसुन मिलाएं। अगर आपको इसकी स्मैल पसंद नहीं है, तो लहसुन की फांक कच्ची हीखा लें। लहसुन में ट्यूमर से लड़ने की ताकत होती है, जो स्मोकर्स के लिए जरूरी है। दरअसल, सिगरेट बॉडी मेंकार्सिनोमा नाम का जहरीला तत्व बनाता है, जिससे ट्यूमर बनता है। ऐसे में, लहसुन उससे लड़ता है।
विटामिन ई
स्मोकिंग करने से हार्ट अटैक होने के चांस बढ़ जाते हैं। दरअसल, स्मोकिंग बैड कॉलेस्ट्रॉल को बढ़ाती है। तबविटामिन ई इस कॉलेस्टॉल को हार्मफुल होने से रोकता है। विटामिन ई सनफ्लॉवर सीड्स, ऑलमंड, ऑलिव्सऔर ग्रीन पत्तियों में बहुत क्वांटिटी में होता है।
ओमेगा थ्री एसिड्स
अगर आप रोजाना ओमेगा थ्री फैटी एसिड्स लेते हैं, तो आप स्मोकिंग के साइड इफेक्ट्स से काफी हद तक बचसकते हैं। ओमेगा थ्री में पाया जाने वाला पॉलिसैचुरिएट फैटी एसिड लंग्स के साथ दांतों व जबड़ों को भी ठीकबनाए रखता है।
पिएं खूब पानी
पानी ही एक ऐसी चीज है, जो आपकी बॉडी से निकोटिन और दूसरे केमिकल्स को बाहर करने में मदद करती है।इसलिए खूब सारा पानी पिएं। यही नहीं, पानी स्मोकिंग के मुंह में होने वाले इफेक्ट्स को भी काफी कम कर देताहै।
फिल्टर सिगरेट
अगर आप दिनभर में तीन से ज्यादा सिगरेट लेते हैं, तो फिल्टर सिगरेट यूज करें। फिल्टर लगा होने से आपकेलंग्स में निकोटिन की क्वांटिटी बेहद कम पहुंचती है। हालांकि यह नॉर्मल सिगरेट से थोड़ी महंगी होती है, लेकिनआपके रिस्क फैक्टर को काफी कम कर देती है।
महिलाएं लें हेल्दी फूड
जो महिलाएं स्मोकिंग करती हैं, उनके लिए हेल्दी फूड लेना बेहद जरूरी है। दरअसल, स्मोकिंग आपके बोंस परभी सीधे इफेक्ट डालती है। इसके सेवन से ऑस्टियोपोरेसिस, बोन में वीकनेस आना जैसी प्रॉब्लम्स आ जाती हैं।अगर आप हेल्दी डाइट लेती हैं, तो स्मोकिंग के इफेक्ट को कम कर सकती हैं। हेल्दी बोंस के लिए कैल्शियम,मैग्निशियम और विटामिन डी की भरपूर क्वांटिटी लेना जरूरी है।
इन्हें रखें याद
- रोजाना 20 से अधिक सिगरेट पीने वालों को हार्ट अटैक के चांस 5 गुना, 10 से 19 सिगरेट पीने से 3 गुना और5 से कम सिगरेट पीने से यह जोखिम 1.5 गुना बढ़ जाता है।
-एक सिगरेट जिंदगी के 11 मिनट कम कर देती है और सिगरेट के धुएं से हार्ट अटैक्स का खतरा 90 फीसदी बढ़जाता है।
- देश में स्मोकिंग करने वाली महिलाओं का औसत 1.5 फीसदी है।
-कॉल सेंटरों और टीवी चैनल में काम करने वाली तकरीबन 8 फीसदी महिलाएं सिगरेट की लत की शिकार हैं.
इन योगासनों से मिलती है धूम्रपान से निजात:
इन योगासनों से मिलती है धूम्रपान से निजात:
योगासन: सर्वागासन (शोल्डर स्टैंड), सेतु बंधासन (ब्रिज मुद्रा), भुजंगासन (कोबरा पोज), शिशुआसन (बाल पोज)।
प्राणायाम: सहज प्राणायाम, भसीदा प्राणायाम, नाड़ी शोधन प्राणायाम (नोस्ट्रिल ब्रीदिंग तकनीक)।