आजकल पथरी का रोग लोगों में आम समस्या बनती जा रही है| जो अक्सर गलत खान पान की वजह से होता है।गुर्दे की पथरी (वृक्कीय कैल्कली, नेफरोलिथियासिस) (अंग्रेजी:Kidney stones) मूत्रतंत्र की एक ऐसी स्थिति है जिसमें, वृक्क (गुर्दे) के अन्दर छोटे-छोटे पत्थर सदृश कठोर वस्तुओं का निर्माण होता है। गुर्दें में एक समय में एक या अधिक पथरी हो सकती है। सामान्यत: ये पथरियाँ बिना किसी तकलीफ मूत्रमार्ग से शरीर से बाहर निकाल दी जाती हैं , किन्तु यदि ये पर्याप्त रूप से बड़ी हो जाएं ( २-३ मिमी आकार के) तो ये मूत्रवाहिनी में अवरोध उत्पन्न कर सकती हैं। इस स्थिति में मूत्रांगो के आसपास असहनीय पीड़ा होती है।
यह स्थिति आमतौर से 30 से 60 वर्ष के आयु के व्यक्तियों में पाई जाती है और स्त्रियों की अपेक्षा पुरूषों में चार गुना अधिक पाई जाती है। बच्चों और वृद्धों में मूत्राशय की पथरी ज्यादा बनती है, जबकि वयस्को में अधिकतर गुर्दो और मूत्रवाहक नली में पथरी बन जाती है। जिन मरीजों को मधुमेह की बीमारी है उन्हें गुर्दे की बीमारी होने की काफी संभावनाएं रहती हैं। अगर किसी मरीज को रक्तचाप की बीमारी है तो उसे नियमित दवा से रक्तचाप को नियंत्रण करने पर ध्यान देना चाहिए क्योंकि अगर रक्तचाप बढ़ता है, तो भी गुर्दे खराब हो सकते हैं।
गुर्दे की पथरी के कारण
Cause of kidney stones:
किसी पदार्थ के कारण जब मूत्र सान्द्र (गाढ़ा) हो जाता है तो पथरी निर्मित होने लगती है। इस पदार्थ में छोटे छोटे दाने बनते हैं जो बाद में पथरी में तब्दील हो जाते है। इसके लक्षण जब तक दिखाई नहीं देते तब तक ये मूत्रमार्ग में बढ़ने लगते है और दर्द होने लगता है। इसमें काफी तेज दर्द होता है जो बाजू से शुरु होकर उरू मूल तक बढ़ता है।
तथा रोजाना भोजन करते समय उनमें जो कैल्शियम फॉस्फेट आदि तत्व रह जाते हैं, पाचन क्रिया की विकृति से इन तत्वों का पाचन नहीं हो पाता है। वे गुर्दे में एकत्र होते रहते हैं। कैल्शियम, फॉस्फेट के सूक्ष्म कण तो मूत्र द्वारा निकलते रहते हैं, जो कण नहीं निकल पाते वे एक दूसरे से मिलकर पथरी का निर्माण करने लगते हैं। पथरी बड़ी होकर मूत्र नली में पहुंचकर मूत्र अवरोध करने लगती है। तब तीव्र पीड़ा होती है। रोगी तड़पने लगता है। इलाज में देर होने से मूत्र के साथ रक्त भी आने लगता है जिससे काफी पीड़ा होती है। तथा लंबे समय तक पाचन शक्ति ठीक न रहने और मूत्र विकार भी बना रहे तो गुर्दों में कुछ तत्व इकट्ठे होकर पथरी का रूप धारण कर लेते हैं।
A family history of kidney stones is also a risk factor for developing kidney stones
किसी प्रकार से पेशाब के साथ निकलने वाले क्षारीय तत्व किसी एक स्थान पर रुक जाते है,चाहे वह मूत्राशय हो,गुर्दा हो या मूत्रनालिका हो,इसके कई रूप होते है,कभी कभी यह बडा रूप लेकर बहुत परेशानी का कारक बन जाती है,पथरी की शंका होने पर किसी प्रकार से इसको जरूर चैक करवा लेना चाहिये.
गुर्दे की पथरी के लक्षण
Symptoms of kidney stones
गुर्दे की पथरी के प्रकार
Types of Kidney Stones
सबसे आम पथरी कैल्शियम पथरी है। पुरुषों में, महिलाओं की तुलना में दो से तीन गुणा ज्यादा होती है। सामान्यतः 20 से 30 आयु वर्ग के पुरुष इससे प्रभावित होते है। कैल्शियम अन्य पदार्थों जैसे आक्सलेट(सबसे सामान्य पदार्थ) फास्फेट या कार्बोनेट से मिलकर पथरी का निर्माण करते है। आक्सलेट कुछ खाद्य पदार्थों में विद्यमान रहता है।
पुरुषों में यूरिक एसिड पथरी भी सामान्यतः पाई जाती है। किस्टिनूरिया वाले व्यक्तियों में किस्टाइन पथरी निर्मित होती है। महिला और पुरुष दोनों में यह वंशानुगत हो सकता है।
मूत्रमार्ग में होने वाले संक्रमण की वजह से स्ट्रवाइट पथरी होती है जो आमतौर पर महिलाओं में पायी जाती है। स्ट्रवाइट पथरी बढ़कर गुर्दे, मूत्रवाहिनी या मूत्राशय को अवरुद्ध कर सकती है।
गुर्दे की पथरी से बचाव के कुछ उपाय:
Some measure of protection from kidney stones:
1. पर्याप्त जल पीयें ताकि 2 से 2.5 लीटर मूत्र रोज बने।पथरी के मरीज को दिन में कम से कम 5-6 लीटर पानी पीना चाहिये। अधिक मात्रा में मुत्र बनने पर छोटी पथरी मुत्र के साथ निकल जाती है।
2. आहार में प्रोटीन, नाइट्रोजन तथा सोडियम की मात्रा कम हो।
3. ऐसे पदार्थ न लिये जांय जिनमें आक्जेलेट् की मात्रा अधिक हो; जैसे चाकलेट, सोयाबीन, मूंगफली, पालक आदि
4. कोका कोला एवं इसी तरह के अन्य पेय से बचें।
5. विटामिन - सी की भारी मात्रा न ली जाय।
6. नारंगी आदि का रस (ज्यूस) लेने से पथरी का खतरा कम होता है।
पथरी में ये खाएं:
कुल्थी के अलावा खीरा, तरबूज के बीज, खरबूजे के बीज, चौलाई का साग, मूली, आंवला, अनन्नास, बथुआ, जौ, मूंग की दाल, गोखरु आदि खाएं। कुल्थी के सेवन के साथ दिन में 6 से 8 गिलास सादा पानी पीना, खासकर गुर्दे की बीमारियों में बहुत हितकारी सिद्ध होता है।
ये न खाएं:
पालक, टमाटर, बैंगन, चावल, उड़द, लेसदार पदार्थ, सूखे मेवे, चॉकलेट, चाय, मद्यपान, मांसाहार आदि। मूत्र को रोकना नहीं चाहिए। लगातार एक घंटे से अधिक एक आसन पर न बैठें। जिसको भी शरीर मे पथरी है वो चुना कभी ना खाएं !काले अंगूरों के सेवन से परहेज करें।तिल, काजू अथवा खीरे, आँवला अथवा चीकू (सपोटा) में भी आक्सेलेट अधिक मात्रा में होता है।बैगन,फूलगोभी में यूरिक एसिड व प्यूरीन अधिक मात्रा में पाई जाती है।
पथरी का घरेलू इलाज-
1. जिस व्यक्ति को पथरी की समस्या हो उसे खूब केला खाना चाहिए क्योंकि केला विटामिन बी-6 का प्रमुख स्रोत है, जो ऑक्जेलेट क्रिस्टल को बनने से रोकता है व ऑक्जेलिक अम्ल को विखंडित कर देता है। इसके आलावा नारियल पानी का सेवन करें क्योंकि यह प्राकृतिक पोटेशियम युक्त होता है, जो पथरी बनने की प्रक्रिया को रोकता है और इसमें पथरी घुलती है।
2. कहने को करेला बहुत कड़वा होता है पर पथरी में यह भी रामबाण साबित होता है| करेले में पथरी न बनने वाले तत्व मैग्नीशियम तथा फॉस्फोरस होते हैं और वह गठिया तथा मधुमेह रोगनाशक है। जो खाए चना वह बने बना। पुरानी कहावत है। चना पथरी बनने की प्रक्रिया को रोकता है।
3. गाजर में पायरोफॉस्फेट और पादप अम्ल पाए जाते हैं जो पथरी बनने की प्रक्रिया को रोकते हैं। गाजर में पाया जाने वाला केरोटिन पदार्थ मूत्र संस्थान की आंतरिक दीवारों को टूटने-फूटने से बचाता है।
4. इसके अलावा नींबू का रस एवं जैतून का तेल मिलकर तैयार किया गया मिश्रण गुर्दे की पथरी को दूर करने में बहुत हीं कारगर साबित होता है। 60 मिली लीटर नींबू के रस में उतनी हीं मात्रा में जैतून का तेल मिलाकर मिश्रण तैयार कर लें। इनके मिश्रण का सेवन करने के बाद भरपूर मात्रा में पानी पीते रहें।
इस प्राकृतिक उपचार से बहुत जल्द हीं आपको गुर्दे की पथरी से निजात मिल जायेगी साथ हीं पथरी से होने वाली पीड़ा से भी आपको मुक्ति मिल जाएगी।
5. पथरी को गलाने के लिये अध उबला चौलाई का साग दिन में थोडी थोडी मात्रा में खाना हितकर होता है, इसके साथ आधा किलो बथुए का साग तीन गिलास पानी में उबाल कर कपडे से छान लें, और बथुये को उसी पानी में अच्छी तरह से निचोड कर जरा सी काली मिर्च जीरा और हल्का सा सेंधा नमक मिलाकर इसे दिन में चार बार पीना चाहिये, इस प्रकार से गुर्दे के किसी भी प्रकार के दोष और पथरी दोनो के लिए साग बहुत उत्तम माने गये है।
6. जीरे को मिश्री की चासनी अथवा शहद के साथ लेने पर पथरी घुलकर पेशाब के साथ निकल जाती है। इसके अलावा तुलसी के बीज का हिमजीरा दानेदार शक्कर व दूध के साथ लेने से मूत्र पिंड में फ़ंसी पथरी निकल जाती है।
7. एक मूली को खोखला करने के बाद उसमे बीस बीस ग्राम गाजर शलगम के बीज भर दें, फ़िर मूली को गर्म करके भुर्ते की तरह भून लें, उसके बाद मूली से बीज निकाल कर सिल पर पीस लें,सुबह पांच या छ: ग्राम पानी के साथ एक माह तक पीते रहे, पथरी में लाभ होगा|
8. प्याज में पथरी नाशक तत्व होते हैं। करीब 70 ग्राम प्याज को अच्छी तरह पीसकर या मिक्सर में चलाकर पेस्ट बनालें। इसे कपडे से निचोडकर रस निकालें। सुबह खाली पेट पीते रहने से पथरी छोटे-छोटे टुकडे होकर निकल जाती है।
9. पहाडी कुल्थी और शिलाजीत दोनो एक एक ग्राम को दूध के साथ सेवन करने पथरी निकल जाती है
10. एक मूली को खोखला करने के बाद उसमे बीस बीस ग्राम गाजर शलगम के बीज भर दें,फ़िर मूली को गर्म करके भुर्ते की तरह भून लें,उसके बाद मूली से बीज निकाल कर सिल पर पीस लें,सुबह पांच या छ: ग्राम पानी के साथ एक माह तक पीते रहे,पथरी और पेशाब वाली बीमारियों में फ़ायदा मिलेगा।
11. सूखे आंवले को नमक की तरह से पीस लें,उसे मूली पर लगाकर चबा चबा कर खायें,सात दिन के अन्दर पथरी पेशाब के रास्ते निकल जायेगी,सुबह खाली पेट सेवन करने से और भी फ़ायदा होता है।
12. तुलसी के बीज का हिमजीरा दानेदार शक्कर व दूध के साथ लेने से मूत्र पिंड में फ़ंसी पथरी निकल जाती है।
13. पखानबेद नाम का एक पौधा होता है! उसे पथरचट भी कुछ लोग बोलते है! उसके पत्तों को पानी मे उबाल कर काढ़ा बना ले! मात्र 7 से 15 दिन मे पूरी पथरी खत्म!! और कई बार तो इससे भी जल्दी खत्म हो जाती
14. बथुआ को पानी में उबालकर इसके रस में नींबू, नमक व जीरा मिलाकर नियमित पीने से पेशाब में जलन, पेशाब के समय दर्द तथा पथरी दूर होती है।
16. पथरी से बचाव के लिये रातभर मक्के के बाल (सिल्क) को पानी में भिगाकर सुबह सिल्क हटाकर पानी पीने से लाभ होता है। पथरी के उपचार में सिल्क को पानी में उबालकर बनाये गये काढे का प्रयोग होता है।
17. आम के ताजा पत्ते छाया में सुखाकर, बारीक पीस कर आठ ग्राम मात्रा पानी मे मिलाकर प्रात: काल प्रतिदिन लेने से पथरी समाप्त हो सकती है।
18. दो अन्जीर एक गिलास पानी मे उबालकर सुबह के वक्त पीयें। एक माह तक लेना जरूरी है।
19. कुलथी की दाल का सूप पीने से पथरी निकलने के प्रमाण मिले है। २० ग्राम कुलथी दो कप पानी में उबालकर काढा बनालें। सुबह के वक्त और रात को सोने से पहिले पीयें।एक-दो सप्ताह में गुर्दे तथा मूत्राशय की पथरी गल कर बिना ऑपरेशन के बाहर आ जाती है, लगातार सेवन करते रहना राहत देता है।
कुल्थी का पानी विधिवत लेने से गुर्दे और मूत्रशय की पथरी निकल जाती है और नयी पथरी बनना भी रुक जाता है। किसी साफ सूखे, मुलायम कपड़े से कुल्थी के दानों को साफ कर लें। किसी पॉलीथिन की थैली में डाल कर किसी टिन में या कांच के मर्तबान में सुरक्षित रख लें।
कुल्थी का पानी बनाने की विधि: किसी कांच के गिलास में 250 ग्राम पानी में 20 ग्राम कुल्थी डाल कर ढक कर रात भर भीगने दें। प्रात: इस पानी को अच्छी तरह मिला कर खाली पेट पी लें। फिर उतना ही नया पानी उसी कुल्थी के गिलास में और डाल दें, जिसे दोपहर में पी लें। दोपहर में कुल्थी का पानी पीने के बाद पुन: उतना ही नया पानी शाम को पीने के लिए डाल दें।इस प्रकार रात में भिगोई गई कुल्थी का पानी अगले दिन तीन बार सुबह, दोपहर, शाम पीने के बाद उन कुल्थी के दानों को फेंक दें और अगले दिन यही प्रक्रिया अपनाएं। महीने भर इस तरह पानी पीने से गुर्दे और मूत्राशय की पथरी धीरे-धीरे गल कर निकल जाती है।
20. स्टूल पर चढकर १५-२० बार फ़र्श पर कूदें। पथरी नीचे खिसकेगी और पेशाब के रास्ते निकल जाएगी। निर्बल व्यक्ति यह प्रयोग न करें।
21. दूध व बादाम का नियमित सेवन से पथरी की संभावना कम होती है।
22. गोखरू 10 ग्राम, जल 150 ग्राम, दूध 250 ग्राम को पकाकर आधा रह जाने पर छानकर नित्य पिलाने से मूत्र मार्ग की सारी विकृतियाँ दूर होती हैं ।
23. गिलास अनन्नास का रस, १ चम्मच मिश्री डालकर भोजन से पूर्व लेने से पिशाब खुलकर आता है और पिशाब सम्बन्धी अन्य समस्याए दूर होती है
24. पथरी होने पर नारियल का पानी पीना चाहिए।इसमें जैविक परमाणु होते हैं जो खनिज पदार्थो को उत्पन्न होने से रोकते हैं .
25. 15 दाने बडी इलायची के एक चम्मच, खरबूजे के बीज की गिरी और दो चम्मच मिश्री, एक कप पानी में मिलाकर सुबह-शाम दो बार पीने से पथरी निकल जाती है।
26. पका हुआ जामुन पथरी से निजात दिलाने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पथरी होने पर पका हुआ जामुन खाना चाहिए।
27. सहजन की सब्जी खाने से गुर्दे की पथरी टूटकर बाहर निकल जाती है।
28. मिश्री, सौंफ, सूखा धनिया लेकर 50-50 ग्राम मात्रा में लेकर डेढ लीटर पानी में रात को भिगोकर रख दीजिए। अगली शाम को इनको पानी से छानकर पीस लीजिए और पानी में मिलाकर एक घोल बना लीजिए, इस घोल को पीजिए। पथरी निकल जाएगी।
29.तीन हल्की कच्ची भिंड़ी को पतली-पतली लम्बी-लम्बी काट लें। कांच के बर्तन में दो लीटर पानी में कटी हुई भिंड़ी ड़ाल कर रात भर के लिए रख दें। सुबह भिंड़ी को उसी पानी में निचोड़ कर भिंड़ी को निकाल लें। ये सारा पानी दो घंटों के अन्दर-अन्दर पी लें। इससे किड़नी की पथरी से छुटकारा मिलता है।
30. महर्षि सुश्रुत के अनुसार सात दिन तक गौदुग्ध के साथ गोक्षुर पंचांग का सेवन कराने में पथरी टूट-टूट कर शरीर से बाहर चली जाती है । मूत्र के साथ यदि रक्त स्राव भी होतो गोक्षुर चूर्ण को दूध में उबाल कर मिश्री के साथ पिलाते हैं ।
31. पतंजलि का दिव्य वृक्कदोष हर क्वाथ १० ग्राम ले कर डेढ़ ग्लास पानी में उबाले .चौथाई शेष रह जाने पर सुबह खाली पेट और दोपहर के भोजन के ५-६ घंटे बाद ले .इसके साथ अश्मरिहर रस के सेवन से लाभ होगा . जिन्हें बार बार पथरी बनाने की प्रवृत्ति है उन्हें यह कुछ समय तक लेना चाहिए
लिथोट्रिप्सी तकनीक
Lithotripsy technology
पहले पथरी हो जाने पर बड़ा ऑपरेशन ही उसका अंतिम उपाय होता था, लेकिन अब नई तकनीक लिथोट्रिप्सी आ गई है। इससे पथरी का इलाज आसानी से किया जा सकता है । लिथोट्रिप्सी तकनीक के बारे में विस्तृत जानकारी दे रहे हैं , रायपुर स्टोन क्लीनिक के सर्जन डॉ. कमलेश अग्रवाल ।
क्या है लिथोट्रिप्सी तकनीक ?
लिथोट्रिप्सी चिकित्सा जगत की आधुनिक तकनीकों में से एक है गुर्दे की पथरी के इलाज में इसका उपयोग किय जाता है । लिथोट्रिप्सी दो शब्दों से मिलकर बना है । लिथो का अर्थ है स्टोन या पथरी और ट्रिप्सी का अर्थ है तोड़ना । लिथोट्रिप्सी बिना शल्य क्रिया के पथरी को तोड़कर छोटे-छोटे टुकड़ो के रुप में शरीर से बाहर निकालने की आसान व सुरक्षित विधि है ।
प्रकिया
लिथोट्रिप्सी तकनीक द्वारा गुर्दे, मूत्राशय एवं मूत्रनली में स्थित किसी भी आकार की पथरी को चूरा करके बहुत आसानी से कम समय में निकाला जाता है । लिथोट्रिप्सर नामक मशीन द्वारा ध्वनि तरंगें उत्पन्न करके उस स्थान पर प्रेषित की जाती है , जहाँ पर पथरी होती हैं । ये ध्वनि तरंगें अल्ट्रा साउंड में प्रयुक्त ध्वनि तरंगों की तरह होती है । इन तरंगों द्वारा पथरी को तोड़कर रेत के समान बारीक कणों में बदल दिया जाता है । ये कण पेशाब के साथ आसानी से शरीर से बाहर निकल जाते हैं ।
इलाज के पूर्व परीक्षण
लिथोट्रिप्सी के इलाज से पूर्व सामान्य परीक्षण किये जाते हैं। यह एक आउटडोर प्रक्रिया है। इसमें मरीज को भर्ती होने की जरुरत नहीं होती। पूरी प्रक्रिया में करीब 30 से 40 मिनट तक का औसत समय लगता है।
तकनीक के फ़ायदे
लिथोट्रिप्सी द्वारा किसी भी आयु के मरीज का उपचार पूर्णतया सुरक्षित ढंग से किया जा सकता है ।
इसमें किसी तरह की शारीरिक-मानसिक परेशानी नहीं होती।
हृदयरोग, तपेदिक, उच्च रक्तचाप,मधुमेह,अस्थमा अथवा किसी क्रानिक बीमारी से पीड़ित लोगों के लिए ये विधि उपयुक्त मानी जाती है , क्योंकि ऎसे मरीजों में शल्यक्रिया तुरंत करना संभव नहीं होता है ।
इस तकनीक में मरीज को रक्त की जरुरत नहीं होती,इसलिए किसी अन्य रोग के संक्रमण का खतरा नहीं रहता ।
शरीर में कहीं चीर-फाड़ नहीं की जाती, इस कारण कटनें का निशान नहीं पड़ता ।
लिथोट्रिप्सी मशीन से पित्तनली एवं पेनक्रियाण ग्रंथी का उपचार भी संभव है।
यह उपचार काफी सामान्य है और पूरी प्रक्रिया में कोई दवा अथवा दर्द निवारक इंजेक्शन का प्रयोग नहीं किया जाता ।
सहायक उपचार- हिमालय ड्रग कंपनी की सिस्टोन की दो गोलियां दिन में 2-3 बार प्रतिदिन लेने से शीघ्र लाभ होता है। कुछ समय तक नियमित सेवन करने से पथरी टूट-टूट कर बाहर निकल जाती है। यह मूत्रमार्ग में पथरी, मूत्र में क्रिस्टल आना, मूत्र में जलन आदि में दी जाती है।स्टोनिल कैप्सूल( हकीम हाशमी )एक 100% हर्बल जड़ी बूटी युक्त उपाय अपने को पूरी मूत्र प्रणाली के लिए एक टॉनिक के रूप में दोनों स्वस्थ और रोगग्रस्त गुर्दे के कामकाज और कार्य में सुधार करने की क्षमता के लिए जाना जाता है. यह हर्बल कैप्सूल गुर्दे में पत्थर गठन के एक आम स्वास्थ्य विकार, जो दुनिया में लोगों की काफी संख्या को प्रभावित करता है. उसका उपचार में सहायता करता है यह मुख्य रूप से कैल्शियम का संचय, फॉस्फेट, और गुर्दे में oxalate जो क्रिस्टल या पत्थर को निश्चित रूप से निकल बहार करता है .
आपको गुर्दे की पथरी जिन्हें बार-बार हो रही है उन्हें खान-पान में परहेज बरतना चाहिए, ताकि समस्या से बचा जा सकता है। साथ ही एक स्वस्थ व्यक्ति को तो प्रतिदिन 3-5 लीटर पानी पीना चाहिए| यदि किसी को एक बार पथरी की समस्या हुई, तो उन्हें यह समस्या बार-बार हो सकती है। अतः खानपान पर ध्यान रखकर पथरी की समस्या से निजात पाई जा सकती है।
होमियोपैथिक चिकित्सा :
Homeopathic treatment of kidney stones
BERBERIS VULGARIS: इस होमियोपैथिक दवा का मदर टिंचर पेशाब के पथरी में बहुत उपयोगी हैं। इस दवा की 10-15 बूंदों को एक चौथाई (1/ 4) कप गुण गुने पानी मे मिलाकर दिन मे चार बार (सुबह,दोपहर,शाम और रात) लेना है। चार बार अधिक से अधिक और कमसे कम तीन बार|इसको लगातार एक से डेढ़ महीने तक लेना है कभी कभी दो महीने भी लग जाते है।
CANTHARIS 6 : यदि पेशाब की पेशाब में जल जाने जैसा जलन,वेग, कुथन इत्यादि रहे तो कैन्थेरिस से लाभ होगा। यह मूत्र पथरी की बहुमूल्य दवा है।
SARSAPARILLA: इसमें पेशाब जल्दी जल्दी लगता है और थोडा थोडा होता है। पेशाब के साथ छोटी छोटी पथरी निकलती हैं, गुर्दे में दर्द रहता है।पेशाब के अन्त में असह्य कष्ट होना, गर्म चीजों के सेवन से कष्ट बढ़ना, बैठ कर पेशाब करने में तकलीफ के साथ बूंद-बूंद करके पेशाब उतरना और खड़े होकर पेशाब करने पर आसानी से पेशाब उतरना यह सारसापेरिला के लक्षण हैं।
HEDEOMA: पेशाब में लाल रंग के बालू के कण कि तरह का पदार्थ निकलता है,यूरेटर में दर्द रहता है।
ARTICA URENCE: अर्टिका यूरेंस : यूरिक एसिड बनने की प्रवृति रोकने के लिए एवं यूरिक एसिड निर्मित पथरी के लिए, उक्त दवा के मूल अर्क का नियमित सेवन करना चाहिए।
LAYCOPODIUMलाइकोपोडियम :पेसाब में रेत के लाल कण दिखाई देना, दाई तरफ गुर्दे में दर्द होता है, पेशाब धीरे-धीरे होना एवं कमर में दर्द रहना, रोगी अकेला रहना पसंद नहीं करता, रात में बार-बार पेशाब होना आदि लक्षण मिलने पर पहले 30 शक्ति में एवं बाद में 200 शक्ति में दवा प्रयोग करनी चाहिए। इसमें प्रोस्टेट ग्रंथि भी बढ़ जाती है।
इन औषधियों के आलावा लक्षणानुसार हाइड्रेज़िया, डायस्कोरिया, ओसीमम कैनम, कैल्केरिया कार्ब आदि होमियोपैथिक औषधियाँ लाभकारी हैं।
नोट:-कोई भी नुस्खा ड़ाक्टर की सलाह से अपनाना चाहिए।
मूत्र पथरी के बारे में बहुत ही उपयोगी जानकारी,आभार राजेंद्र जी।
जवाब देंहटाएंमूत्र पथरी में कुलथी बहुत ही लाभकारी है,बहुत ही लाभकारी जानकारी।
जवाब देंहटाएंसंग्रहणीय आलेख
जवाब देंहटाएंसार्थक लेखन
हार्दिक शुभकामनायें
बहुत उपयोगी जानकारी.
जवाब देंहटाएंजो खाए चना वह बने (रहे ) बना।
जवाब देंहटाएंयह दर्द रह-रह कर उठता है और कुछ मिनटो से कई घंटो तक बना रहता
है इसे ”रीलन क्रोनिन” कहते हैं।
रीनल क्रोनिन कहते हैं।
विस्तृत जानकारी और चिकित्सा सहित बेहतरीन आलेख गुर्दे की पथरी पर
मूत्र पथरी के बारे में बहुत ही उपयोगी जानकारी, पित पथरी के बारे में भी कभी प्रकाश डालें , आभार आपका।
जवाब देंहटाएंबहुत ही लाभप्रद और उपयोगी जानकारी,आभार।
जवाब देंहटाएंपथरी पर बहुत ही विस्तृत जानकारी देने के लिए सादर आभार।
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया उयपोगी जानकारी प्रस्तुति के लिए आभार
जवाब देंहटाएंउम्दा जानकारी...बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंनयी पोस्ट@भूली हुई यादों
पथरी की जानकारी के लिए धन्यवाद
जवाब देंहटाएंपथरी की जानकारी के लिए धन्यवाद और मैं लुधियाना से
जवाब देंहटाएंलीथोट्रीप्सि के खर्च के बारे में जानना चाहता हु और यह कहाँ कहाँ हो सकता है और हस्पताल और स्थान की जानकारी दे | आपका बहुत आभारी रहूँगा !
RG Stone And Super Speciality Hospital
हटाएं510-L, Model Town
Ludhiana - 141 002 (India)
Tel: +91-161-4618585, 4618686
Fax: +91-161-5022228
contact@rghospitalludhiana.com
Usefull information on kidney stones.
जवाब देंहटाएंUsefull information on kidney stones.
जवाब देंहटाएंUsefull information on kidney stones.
जवाब देंहटाएंक्या नीरी टेबलेट में कोई भस्म भी है.?
जवाब देंहटाएंक्या नीरी टेबलेट में कोई भस्म भी है.?
जवाब देंहटाएंगजेन्द्र जी लगता है आप ने एलोपेथिक का कोई लेख पढ़ा हुआ होगा उन्होंने लिखा है की आयुर्वेद की भष्म नुकसान करती है ?लेकिन कूँ सी करती है नही लिखा हैं
जवाब देंहटाएंमेरा दावा है अधकांश किड़नी एलोपेथिक दवाई से ही ख़राब होती है
सर में इस पथरी की बीमारी से बहुत ही परेशान हूँ 2010 से लेकर अब तक मई जून महीने में जव भयंकर गर्मी पड़ती है मुझे पथरी हो जाया करती है देशी दवा पत्थर चट से पथरी निकलती है
जवाब देंहटाएंक्या इसका स्थाई रूप से कोई समाधान नहीं है?
सीने के पास पथरी उसका ईलाज क्या है
जवाब देंहटाएंमेरे पिता जी को 17mm की पथरी है क्या बो ठीक हो सकती है
जवाब देंहटाएंसमस्त जानकारी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया।
जवाब देंहटाएंसमस्त जानकारी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया।
जवाब देंहटाएंलीथोट्रीप्सि के खर्च के बारे में जानना चाहता हु और यह कहाँ कहाँ हो सकता है और हस्पताल और स्थान की जानकारी दे | आपका बहुत आभारी रहूँगा
जवाब देंहटाएंKINDLY CLEAR ITS SIDE EFFECT ALSO satya narain from gurgaon
satya.220381@gmail.com
महोदय मेरी किडनी में 12 mm की पथरी है। तथा सूजन भी है। क्या सर्जरी करानी चाहिए या कोई असरदार दवा हो तो बताने की कृपा करें।
जवाब देंहटाएंThanks for sharing best remedy. You can get over kidney stone issues safely. Herbal supplement fortified with natural ingredients to eliminate kidney stone.visit http://www.hashmidawakhana.org/natural-treatment-for-kidney-stones.html
जवाब देंहटाएं
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जवाब देंहटाएंaapne Homeopathic treatment of kidney stones par bahut hi achcha article likha hai, thanks for the nice article
जवाब देंहटाएंWhatever the reason may be consider herbal supplement for safe and effective treatment. visit http://www.hashmidawakhana.org/natural-treatment-for-kidney-stones.html
जवाब देंहटाएंBalam khira is also best for renal calculi.use balam khira
जवाब देंहटाएंDard ka lya !spasmo proxywon capsul ka use kra,
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंThanks for sharing your post. There are many herbal supplements for dissolving kidney stone. Stonil capsule is one of the best helping people to remove kidney stone.
जवाब देंहटाएंGood imformation
जवाब देंहटाएंHomeopathy is the best
जवाब देंहटाएंसमस्त जानकारी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया
जवाब देंहटाएंnice post. Eliminate kidney stone safely and naturally with the use of natural kidney stone treatment.
जवाब देंहटाएंVery useful information
जवाब देंहटाएंBahut hi kamyab jankari, Shukriya.
जवाब देंहटाएंआपका बहुत बहुत धन्यावाद
जवाब देंहटाएंnamaskar sir,
जवाब देंहटाएंitni gehrai me jankari dene ke liye aapko bhot bhot dhanyavaad
mujhe aapse ek salah leni hai
maine ye video dekhi thi
https://www.youtube.com/watch?v=cKU_0OqSb1Y
please mujhe bataiye ki ye ho sakta hai ya nahi
namaskar sir,
जवाब देंहटाएंitni gehrai me jankari dene ke liye aapko bhot bhot dhanyavaad
mujhe aapse ek salah leni hai
maine ye video dekhi thi
https://www.youtube.com/watch?v=cKU_0OqSb1Y
please mujhe bataiye ki ye ho sakta hai ya nahi
sir ji aap iska sach bata sakte hain kya please?
जवाब देंहटाएंaapki bhot help milegi
Nice useful information
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