हमारा जीवन अनमोल है, दूसरा धन है स्वास्थ्य। स्वस्थ्य व्यक्ति ही सांसारिक सुखो का भरपूर उपयोग कर सकता है,कहा भी गया है की "एक तंदुरस्ती हजार नियामत", अतः प्रत्येक व्यक्ति को चाहिए की सदैव निरोग रहने का प्रयत्न करता रहे। आज हम मूत्र रोग और इसके होमियोपैथिक चिकित्सा निदान पर चर्चा करेंगे।
मूत्र का रोग भी हो सकता है, ऐसा कोए निरोग व्यक्ति नही सोच सकता है, लेकिन जिसे यह रोग हो जाता है वहीं काफी परेशान हो जाता है। मूत्र विकार के अंतर्गत कई रोग आते हैं जिनमें मूत्र की जलन, मूत्र रुक जाना, मूत्र रुक-रुककर आना, मूत्रकृच्छ और बहुमूत्र प्रमुख हैं| यह सभी रोग बड़े कष्टदायी होते हैं। यदि इनका यथाशीघ्र उपचार न किया जाए तो घातक परिणाम भुगतने पड़ते हैं। भागदौड की जिन्दगी जीनेवाले लोगों में मूत्र रोग की समस्या होती है। जीवन शैली से यह बीमारी जुड़ गयी है। इसके कारण न सिर्फ मूत्र रोग बल्कि नपुंसकता की घटनाएं भी बढ़ रही हैं। उन्होंने बताया कि यौन मार्ग की सफाई पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। सफाई के अभाव में संक्रमण होने की संभावना रहती है। ऐसे रोगी जिनके मूत्र मार्ग में 5 मि.मी.से कम आकार की पथरी कोई परेशानी नहीं कर रही है तो चिंता करने की बात नहीं है। ऐसे लोगों को 24 घंटे में इतना पानी पीना चाहिए जिससे कि दो-तीन लीटर पेशाब हो सके।
कारण:
यदि मूत्राशय में पेशाब इकट्ठा होने के बाद किसी रुकावट की वजह से बाहर न निकले तो उसे मूत्रावरोध कहते हैं| स्त्रियों में किसी बाहरी चीज के कारण तथा पुरुषों में सूजाक, गरमी आदि से मूत्राशय एवं मूत्र मार्ग पर दबाव पड़ता है जिससे पेशाब रुक जाता है| वृद्ध पुरुषों की पौरुष ग्रंथि (प्रोस्टेट ग्लैंड) बढ़ जाती है जिसके कारण उनका मूत्र रुक जाता है|
मूत्रकृच्छ में पेशाब करते समय दर्द होता है| जब मूत्राशय में दर्द उत्पन्न होता है तो पेशाब रुक जाता है| इसी प्रकार हिस्टीरिया (स्त्री रोग), चिन्ता, सिर में चोट लग जाना, आमाशय का विकार, खराब पीना, आतशक, कब्ज, पौष्टिक भोजन की कमी आदि के कारण भी बार-बार पेशाब आता है|मूत्र पथ का संक्रमण समुदाय-प्राप्त हो सकता है या अस्पताल में मूत्र पथ में उपयोग किये जानेवाले उपकरण (मूत्राशय कैथीटेराइजेशन) के जरिये भी प्राप्त हो सकता है। समुदाय-प्राप्त संक्रमण बैक्टीरिया के द्वारा होते है। इनमें सबसे सामान्य जन्तु ‘ई. कोलई’ कहा जाता है। प्रतिरोधी बैक्टीरिया और फंगस (कवक) से अस्पताल-प्राप्त संक्रमण हो सकते हैं।
पहचान:
मूत्र की कमी या न निकलने से मूत्राशय फूल जाता है| रोगी को बड़ी बेचैनी होती है| मूत्र बड़े कष्ट के साथ बूंद-बूंद करके निकलता है| कब्ज, मन्दाग्नि, अधिक प्यास, पेशाब अधिक आने, मूत्र पीला होने आदि के कारण रोगी को नींद नहीं आती| वह दिन-प्रतिदिन कमजोर होता जाता है| कमर, जांघों तथा पिंडलियों में दर्द होता है|
निदान:
इस संक्रमण का पता करने के लिए कई प्रकार के परीक्षण हैं, इनमें सबसे ज़्यादा महत्वपूर्ण है मूत्र का विश्लेषण करना। जाँच के लिए मूत्र का नमूना भेजा जाता है। उसमें अगर बैक्टीरिया और श्वेत रक्त कोशिकाओं की मौजूदगी से मरीज़ के संक्रमण से ग्रसित होने का पता लगता है। इसके अलावा भी कई जाँचें कराई जा सकती हैं जैसे टोटल ब्लड काउंट, इंट्रावीनस पायलोग्राम (आईवीपी), सीटी स्कैन और ब्लड कल्चर।
लक्षणानुसार होमियोपैथिक चिकित्सा:
१. डायबिटीज-इसीपीड्स(इसमें चीनी विल्कुल नही रहती) अधिक मात्र में और जल्दी जल्दी पेशाब होने के साथ पेशाब में यूरिया निकलना, उसके साथ प्यास, शीर्णता और बेचैनी रहना। इस तरह के मूत्र सबंधी बीमारी में हेलोनियस ३०,२०० काफी लाभप्रद है।
२. रात के समय पेशाब का बढ़ना,अधिक मात्रा में पेशाब का होना, दिन में भी बार बार पेशाब का होना साथ ही अधिक प्यास का लगाना आदि लक्षणों में प्लैण्टेगो Q,2X, 3X शक्ति की दवा काफी लाभप्रद है।
३. पेशाब होने के पहले और बाद में मूत्र नली में जलन होने पर रोग कोई भी हो वल्गेरिस Q पाँच बून्द दो ५० मिली पानी में मिला कर तीन समय लें, शर्तिया लाभप्रद है।
४. पेशाब रुक रुक कर होना, मानो मूत्र यंत्र में पक्षाघात हो गया हो। प्रोस्टेट ग्रंथि की वृद्धि हो गयी हो तो इसके लिए कोनायम ३० का सेवन दिन में तीन बार करने से बीमारी में राहत मिल जाती है। इस तरह की बीमारी में सेबलसेरु ३० भी काफी लाभप्रद है।
५. पेशाब करते वक्त नही बल्कि अन्य समय में मूत्राशय में जलन होने पर स्टेफिसेग्रिया ३० रामबाण अौषधी का काम करता है।
६. काइल्यूरिया की बीमारी में पेशाब या तो पानी की तरह बिलकुल साफ रहता है या फिर मैदे की बुकनी की तरह खूब गाढ़ा, दूध या चाय की तरह के रंग वाला होता है। इस तरह की बीमारी में सिट्लिंजिया Q,३,६ शक्ति की दवा काफी लाभप्रद है।
७. पेशाब का वेग बना रहना, रात के समय ही यह वेग ज्यादा रहना। वेग रहने पर भी मूत्राशय की शक्ति घट जाना, जिस कारण बहुत देर बैठने पर भी पेशाब का धीरे धीरे होना,पेशाब होने के बाद भी बूंद बूंद पेशाब टपका करना, आग की तरह पेशाब का गरम होना लक्षणों में केलि कार्ब ३० शक्ति की दवा का तीन बार चार चार गोली का सेवन करना चाहिए।
८. पेशाब करते समय जोर लगाना, मूत्रावरोध, जलन, मूत्राशय ग्रीवा में दर्द,मूत्र पथरी निकलने के समय भयंकर दर्द, इसमें बायोकेमिक दवा मैग्नेशिया फास १२X काफी लाभप्रद है। चार चार गोली ग्राम पानी के साथ लेने से रोग की तीव्रता में लाभदायक सिद्ध होती है।
९. बहुमूत्र रोग की प्रधान परिक्षित दवा नेट्रम फास १२X है। १०. बहुत मात्रा में पीले रंग का पेशाब का होना, छीकते या खांसते समय, या अनजाने में चलते चलते पेशाब का निकलना, पेशाब करते समय किसी के अगल बगल रहने पर पेशाब का न उतरना, ऐसी परिस्थिति में नेट्रम म्यूर ३X से उच्च शक्ति की दवा काफी लाभप्रद है।
११. पेशाब में रक्तस्राव, पेशाब में लाल रंग की तलछट, पेशाब में चीनी का होना, आपेक्षिक गुरुत्व घट जाना, मूत्राशय में प्रदाह और स्फीति, सुई चभने सा दर्द रहने पर केलि फास ३X से उच्च शक्ति की दवा का प्रयोग करना चाहिए।
१२. सर्जिकल आपरेशन होने के बाद पेशाब के बंद होने पर कास्टिकम ३० लाभप्रद है।
१३. मूत्राशय के भीतर एक प्रकार का दर्द होता है,मानो मूत्राशय फूल उठा हो बार बार और जल्दी जल्दी पेशाब का होना, पेशाब में बदबू रहती है, रोगी के शरीर पर सूजन आ जाती है और वह सो नही पाता है, इस तरह की बीमारी में मैजलिस क्यू या ३ शक्ति की दवा का प्रयोग करें चाहिए।
१४. गर्भवती स्त्रियों के पेशाब में या साधारण पेशाब में एल्बुमेन या फास्फेट रहने पर हेलोनियस ३०, २०० की शक्ति फायदा करती है।
१५. रात में बार बार पेशाब बहुत मात्र में होना,एकाएक इतने जोर से पेशाब का लगना मानों कपड़े में हो जायेगा,, बिछोने में ही पेशाब का हो जाना और ऐसा समझना की ठीक पेशाब की जगह पर ही पेशाब कर रहें हैं; किन्तु नींद खुलने पर मालूम होना की था ऐसी स्थिति में क्रियोजोटम ६X शक्ति से १००० शक्ति की दवा का प्रयोग करना चाहिए।
१६. रोगी को तेज प्यास,शरीर का चमड़ा फीका और सुखा, शरीर में भयानक दाह, रह रह कर पसीना होना, साफ पानी की तरह बार बार पेशाब होना और उसके साथ पतले डीएसटी आना, वमन शोथ इत्यादि लक्षण रहने पर एसिड एसेटिक ३० शक्ति की दवा लाभप्रद है।
१७. चीनी मिला बहुमूत्र बार बार होना अधिक भूख-प्यास, रोगी का दिन पर दिन दुबला होते जाना पेट में वायु इकठा होना पाकस्थली में जलन रहने पर यूरेनियम नाइट्रिकम २X,६X, ३० शक्ति की दवा लाभकारी होती है।
१८. सिजिजियम जम्बोलिनम क्यू और २X शक्ति की दवा चीनी मिले बहुमूत्र की प्रधान दवा है। ड़ॉ बोरिक का कथन है- "पेशाब से चीनी का परिणाम घटाने या दूर करनेवाली इसके जोड़ की प्राय कोई दूसरी दवा नही दिखाई देती।"
१९. बहुत चीनी मिला पेशाब, उसके साथ ही अत्यंत पसीना मनो नहा लिया हो इसमें ऐमोन एसेटिक फायदा करती है। २०. पेशाब में घोड़े की पेशाब की तरह गंध हो, अनजाने में पेशाब हो जाता हो, वाट गठिया की बीमारी हो तो एसिड नाइट्रिक विशेष रूप से लाभप्रद है।
२१. खून का पेशाब या खून मिला पेशाब होने पर टेरेबिएन्था लाभप्रद है।
इनके अलावा भी बहुत सारी होमियोपैथिक औषधियाँ हैं जो मूत्र विकार में लाभकारी हैं।यहाँ सभी का परिचय देना सम्भव नही दिख रहा है। क्योकि बहुत सारे मित्र यह बोलते हैं की आपका आलेख बहुत विस्तृत होता है, पर क्या करूँ आधे अधूरे आलेख लिख ही नही पाता।
धन्यबाद
sarvajanik media ka sahi upayog kiya hai apane dhanyabad.
जवाब देंहटाएंबहुत ही उपयोगी जानकारी, होमियोपथी अनमोल है। धन्यबाद।
जवाब देंहटाएंBahut hi gyanvrdhk jankkari,dhnybad.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर और उपयोगी जानकारी.
जवाब देंहटाएंबढ़िया व ज्ञानवर्धक जानकारी , राजेन्द्र सर धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंInformation and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
बहुत ही बेहतरीन और जीवन में अतिउपयोगी जानकारी देंने के लिए धन्यबाद।
जवाब देंहटाएंबहुत उपयोगी जानकारी...आभार
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी जानकारिया देने के लिए आपको धन्यवाद
जवाब देंहटाएंआपके आभारी हैं
जवाब देंहटाएंExecellen !
जवाब देंहटाएंlove to read this.. post..
Thnks a lot for sharing this valuable content...
TOSHIBA PVM-375AT
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जवाब देंहटाएंमूत्र नली सुकड़ जाना
जवाब देंहटाएंआपने बहुत अचछा लिखा है
जवाब देंहटाएंऔरत के साथ सेकस कार ते समय पेट मे पीडा होना , पेशाब करते समय जोर लगाना, पेशाब रुक रुक कर होना
जवाब देंहटाएंसर इसके उपाय व दवा बताए
जवाब देंहटाएंJisko peshab ke baad 1 ya 2 boond baad me girta h uska
जवाब देंहटाएंati uttam jankriya Thank u
जवाब देंहटाएंati uttam jankriya Thank u
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंपेशाब रोकने पर उत्पन्न होने वाली जलन का लक्षण के लिए आपने कोई दवा नहीं बताई।
जवाब देंहटाएं6 sal ke bacche ko diverticulum left aur right side me tha, aur urine reflux bhi tha, uski surgery Karwa ki hai..but abhi bhi ureter me sujan hai....ureter ki sujan aur straight shape vapas pane ke liye kya Karna chahiye
जवाब देंहटाएंSir meri peshab bahut dhire dhire hoti hai. Bahut teji se karne par bhi nhi niklati hai. Agr tej se lgi rhti h to 2 2 mint lag jata hai peshab krne me.. Plz koi medicine btayenn.
जवाब देंहटाएंपेशाब का बार बार आना,कम मात्रा में आना।क्या दवाई ली जा सकती है।
जवाब देंहटाएंपेशाब करते समय जलन,भयानक दर्द , रुक रुक पेशाब आना।में इ लाज मे कौन दवा आवश्यक।
जवाब देंहटाएंजानकारियों हेतु बधाई
Pvr rukna 500ml dr cic bole h kya kare blader weak h iski dawa
जवाब देंहटाएंलकवा ग्रसित होने के बाद अभी चल फिर सकते हैं पिशाब महसूस ही नहीं होता अपने आप हो जाता है रात को सोए में पेशाब हो जाता है दो-तीन घंटा में अपने से पेशाब करने चले गए तो उसके बाद बुद्ध बुद्ध पिशाब नहीं टपकता है के लिए होम्योपैथिक दवा क्या हो सकती है
जवाब देंहटाएंPesab bar bar hota he or yellow clr ka hota hai pani jyada pine se saf hota he fir chhod dene pr yellow clr hota hai aur pesab krne jne pr kux der khda rahna pdta hai aur tb jakr thoda sa hi pesab hota he fir 5,5mint pr aise hi dinbhr pesab hota rhta hai plz sir koi dwa btaye hlp me sir..
जवाब देंहटाएंUseful information
जवाब देंहटाएंBahut hi rock aur uptight jankari
जवाब देंहटाएंआपने बहुत अचछा लिखा है
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी जानकारिया देने के लिए आपको धन्यवाद
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