होमियोपैथी में सिरदर्द और माइग्रेन का लाजवाब इलाज है, जरूरत बस, जरा से लक्षणों पर ध्यान देने की है। यहां हम ऐसे ही तमाम लक्षणों और होमियोपैथिक उपचार की चर्चा कर रहे हैं-सिर की पीड़ा को एक साधारण बीमारी माना जाता है तथा कोई भी ‘पेन-किलर गोली’ खाकर इससे छुटकारा पाने का प्रयास किया जाता है, किन्तु क्या हमने कभी सोचा है कि सिर दर्द स्वयं कोई बीमारी नहीं, बल्कि शरीर की किसी बीमारी का एक लक्षण मात्र है।
लक्षणों के अनुसार ‘माइग्रेन’ का उपचार:-
१. अगर सिर-दर्द अचानक ही उग्र रूप धारण कर लें, लगता हो कि दर्द से सर फट जायेगा। मानो सर पर कई हथौड़ों से वार किया जा रहा हो। रोशनी एवं बातचीत न सुहाती हो। लेटने से सिर दर्द बढ़ जाये एवं बैठने से कम हो। सर के दाहिने हिस्से में पीड़ा हो, तो बेलाडोना 200 की एक बूंद जीभ पर डालते ही मानो जादू हो जायेगा।
२. यदि आधी-शीशी का दर्द सिर के पिछले भाग या गुद्दी से शुरू होकर बांई आंख के ऊपर आकर टिक जाये अथवा सिर के बायें हिस्से में रहे तथा प्रातः काल शुरू होकर दोपहर तक बढ़ जाता हो तो इसे स्पाइजेलिया-30 दिन में 3 बार लेने पर अवश्य ठीक कर देगा।
३. अगर लू लगने से, रसोई में काम करते समय चूल्हे की गर्मी से अथवा बिजली के तेज प्रकाश में कार्य करने से सिर दर्द हो जाये या तकिये पर सिर रखने से दर्द बढ़ जाये। सारे सिर में तथा शरीर में तपकन, हड़कल (पल्सेशन) हो तो ग्लोनॉयन की 30वीं शक्ति का प्रयोग इस रोगी को आश्चर्यचकित रूप से स्वस्थ कर देगा।
४. सिर की गुद्दी में बिजली की लहर (करंट) के समान दर्द हो तथा सिर के दाहिने हिस्से को पकड़ता हो। सिरदर्द रोजाना निश्चित समय पर आता हो। सूर्य की गर्मी के साथ दर्द बढ़ता हो। लेटने अथवा नींद आने से आराम मिलता हो। किसी-किसी रोगी में दर्द दाहिनी आंख पर आकर टिक जाता है- इन लक्षणों पर सेंग्विनेरिया मूल अर्क की पांच-पांच बूंदे चौथाई कप पानी में डालकर दिन में 3 बार लेने पर आधा-शीशी जड़ से चली जाती है।
५. यदि गर्दन या कंधों की मांसपेशियों में ‘अकड़न’ हो तथा कनपटियों में भयंकर दर्द हो जो नाक अथवा ठोढ़ी तक चला जाता हो। सिर दर्द घट जाता हो तो यह जेल्सेसियम का निश्चित क्षेत्र है। इसकी कुछ ही मात्राएं इस प्रकार के ‘माइग्रेन’ को मिटा डालने में समर्थ है।
६. अगर जुकाम दबकर सिर के छोटे-छोटे स्थानों में दर्द ठहर गया हो, आंखों की भौओं को दबाने पर आराम मिलता हो। सिर के एक तरफ ही दर्द हो। दर्द का पूर्वाभास, आंखों के चुंधियाने के रूप में हो तो काली बाईक्रोम-30 दिन में 3 बार एक सप्ताह तक लेना चाहिए। इससे न केवल सिर-दर्द , बल्कि पुराना जुकाम अथवा साइनस का दर्द भी सदा के लिए विदा हो जायेगा।
७. ऐसा ‘सरदर्द’ मानो रोगी अंधा हो जायेगा। प्रातः उठने के साथ ही मानो सिर पर हजारों हथौड़े पर रहे हों। सूर्योदय से दर्द शुरू हो और सूर्य के साथ-साथ बढ़कर सूर्यास्त के समय मिट जाये अथवा घट जाये। रोगी अत्यन्त भावुक एवं संवेदनशीलता प्रकृति का हो अर्थात् जल्दी गुस्सा हो जाता हो अथवा रो पड़ता हो, नमकीन चीजों का प्रेमी हो। सूर्य की गर्मी से डरता हो। सिर दर्द के साथ ही जी मितलाता हो तथा बढ़ने पर उल्टी करता हो तो नेट्रमम्यूर-30 अथवा 200 शक्ति इसकी निश्चित दवा है। कमजोर शरीर वाले स्कूली छात्र-छात्राओं के सिर दर्द की भी यह अचूक औषधि है।
८. रात को सोते-सोते रोगी अचानक सिरदर्द के कारण उठ बैठे तथा भूख से भी तिलमिला उठता हो। नींद खुलने का कारण है-मानो अचानक किसी ने माथे पर चोट दे मारी हो। रोगी को गर्मी के मौसम में भारी सर्दी महसूस होती हो तथा शरीर पर अनावश्यक कपड़े लेपेटे रखता हो। बदन से एक अजीब तरह की दुर्गन्ध आती हो तो सोरिनम-200 की एक या दो मात्राएं दर्द को मिटाकर रोगी का नक्शा ही बदल डालती है।
९. सिर से पिछले हिस्से से उठने वाला दर्द जो पूरे सिर पर फैल जाता हो। सिर पर कपड़ा लपेटने से आराम मिलता हो। ठंडी हवा से सरदर्द बढ़ जाता हो। रोगी को फोड़े-फुंसी, गला पकना आदि बीमारियां समय-समय पर परेशान करती रहती हैं। हाथ-पैर ठंडे रहते हैं। इस ‘ठंडी प्रकृति’ के रोगी को साइलीशिया-30 की 4-4 गोलियां सुबह-शाम अपार शांति प्रदान करने में समर्थ हैं।
१० अगर युवावस्था में सिर में फुंसियां निकली हों जिन्हें दवाइयों से दबा दिया गया हो। इस कारण से भयंकर सिर दर्द होता हो। दर्द में लगता हो जैसे सिर पर हथौड़े चल रहे हों। रक्त संचय के कारण होने वाले सरदर्द में कैलकेरिया कार्ब-30 बेहतरीन औषधि है।
११. खासकर ऐसी महिलाओं में जिन्हें मासिक में रक्तस्राव अधिक होता हो तथा दो मासिक के बीच सिर दर्द की शिकायत हो तो कैलकेरिया कार्ब-30 की एक-एक मात्रा हर तीसरे दिन कुछ दिनों तक देना चाहिए।
१२. एक निश्चित अन्तराल के बाद होने वाला सिरदर्द, जो बांई आंख के ऊपर काटता-सा, शाम को शुरू होकर रात में अपनी तीव्रता के शिखर पर पहुंचता हो, के लिए सल्फर-30 की 4-5 गोली प्रत्येक दो घंटे में जीभ पर रखकर चूसें।
१३. पेट की गड़बड़ी या पुराने कब्ज के कारण भी, जब रक्त का प्रवाह मस्तिष्क की ओर हो जाता है, तब तेज सिरदर्द होने लगता है। इस सिरदर्द में हरकत से रोग बढ़ता है। सिर आगे की ओर झुकाने से लगता है कि सिर फट पड़ेगा। ऐसे में ब्रायोनिया-30 उपयोगी है।
१४. क्रोधी, चिड़चिड़े स्वभाव के ऐसे व्यक्ति जिन्हें वात व्याधि रहती हो, जोड़ों में दर्द होता हो। उनमें सिरदर्द दाहिनी कनपटी में या माथे के एक तरफ से शुरू होता है। कभी-कभी क्रोध करने पर यह दर्द गर्दन और बाजू तक आ पहुंचता है। इसमें ब्रायोनिया-30 मूल अर्क की दो-दो बूंदे निश्चित अंतराल से लेने से लाभ होता है।
१५. इसके अतिरिक्त भी नक्स वोमिका, पल्सटिल्ला, एकोनाइट, नेट्रमसल्फ आदि दवाइयां विभिन्न शक्तियों में चिकित्सक के परामर्शनुसार लेने पर इस रोग को जड़ मूल से मिटाया जा सकता है।
फिर भी मैं यह कहना चाहूंगा कि हमें ‘सिरदर्द’ को एक साधारण रोग समझ कर इसकी उपेक्षा नहीं करनी चाहिए। बल्कि इसका कारण जानकर जल्दी से जल्दी इसकी चिकित्सा करानी चाहिए। कहीं ऐसा न हो कि साधारण-सा ‘सरदर्द’ हमारे लिए ‘मेनिन्जाइटिस’, ‘सिस्टीसरकोसिस’ अथवा ‘ब्रेनट्यूमर’ का रूप धारण कर ले और अत्यन्त गम्भीर अथवा जानलेवा सिध्द हो।
वाह जी ! बड़ी उम्दा जानकारी दी ।
जवाब देंहटाएंबिना पार्श्व प्रभाव (अवांछित परिणाम )वाली बढ़िया जानकारी .
जवाब देंहटाएंबहुत ही उपयोगी जानकारी दिए,होमियोपैथी लाभप्रद है.
जवाब देंहटाएंमाइग्रेन का होमियो उपचार बहुत ही लाभप्रद है,आभार.
जवाब देंहटाएंaapki hr post hi bahut upyogi hota hai.
जवाब देंहटाएंउपयोगोई जानकारी है जनाब,आपका धन्यबाद.
जवाब देंहटाएंHerbal treatment also very useful and effective. It delivers long lasting results.For more info visit http://www.hashmidawakhana.org/natural-remedies-for-migraine-headaches.html
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माइग्रेन का होमियो उपचार बहुत ही लाभप्रद है,आभार.
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