सुबह से सिर दर्द हो रहा है तो एस्पिरिन या डिस्प्रिन ले लो ठीक हो जाएगा या फिर बदन में दर्द है तो कांबिफ्लेम या ब्रूफेन ले लो आराम मिल जाएगा।अक्सर सिर दर्द, पेट दर्द या बदन दर्द को कम करने के लिए हम कुछ ऐसे पेनकिलर्स का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन दर्द में तुरंत राहत देने वाली इन जादुई गोलियों की मार बड़ी भयानक होती है। आप पेन किलर का मनमाना प्रयोग कर रहे हैं तो मानकर चलिए आप एक बड़े दर्द को न्यौता दे रहे हैं।
रासायनिक बनावट के आधार पर कई तरह की पेनकिलर्स बाजार में उपलब्ध हैं। कुछ पेनकिलर्स नशीली नहीं होतीं, यानी उनको लेने से हम उनके आदी नहीं होते। लेकिन कुछ ऐसी पेनकिलर्स भी हैं, जिनका लगातार सेवन करने से दिमाग व शरीर इन पर निर्भर करने लगते हैं और हम उनके गुलाम बन जाते हैं। दोनों तरह की पेनकिलर्स खतरनाक हो सकती हैं, अगर इनका सेवन डक्टर की सलाह के बगैर किया जाए या डाक्टरी सलाह से कहीं अधिक समय के लिए किया जाए।
पेनकिलर्स के बार-बार सेवन करने से व्यक्ति इनका आदी हो जाता है। नतीजा यह होता है कि एक साधारण दर्द को ठीक करते-करते व्यक्ति इन गोलियों के एडिक्शन की खतरनाक बीमारी के चंगुल में फंस जाता है। कुछ समय तक लगातार पेनकिलर्स लेने के पश्चात अगर इन्हें एकदम बंद कर दिया जाए, तो भी सेहत संबंधी कई तरह की परेशानियां हो सकती हैं, जैसे सारे शरीर में असहनीय दर्द, घबराहट, बेचैनी, गुस्सा, दस्त, लगातार छींकें आना, नींद न आना, आंखों और नाक से पानी निकलना इत्यादि।।
ये हो सकते हैं साइड एफेक्ट्स
गैसट्राइटिस (पेट में सूजन)- पेन किलर यानी दर्द निवारक दवा पेट के अल्सर की बड़ी वजह बन रही है। पेट के अंदर जख्म बनना, उनसे खून का रिसाव, कयादा एसिड बनना, छाती में जलन जैसी परेशानियां हो जाती हैं। इनके चलते पेट में दर्द, खट्टे डकार, उल्टियां जैसे लक्षण पैदा हो जाते हैं।
जिगर की सूजन- जिगर (लिवर) के सैल्स का खत्म होना, इसके चलते भूख का कम होना, खाना हकाम न कर पाना जैसी परेशानियां।
किडनी प्रॉब्लम्स- पेनकिलर्स किडनी को बहुत नुक्सान पहुंचाती हैं। जिंदगी में एक हजार से कयादा पेनकिलर्स खाने से किडनी खराब हो सकती है। किडनी के सैल्स को नुक्सान पहुंचता है, जिससे धीरे-धीरे किडनी का फंक्शन कमजोर होता जाता है। इसे एनलजैसिक नैफरोपैथी कहा जाता है।
ब्लड डिस्क्रेसिया- कुछ पेनकिलर्स से खून की रचना में बदलाव आने लगते हैं, जिसे ब्लड डिस्क्रेसिया कहा जाता है। यह जानलेवा भी साबित हो सकता है।
दमा पर असर- कुछ पेनकिलर्स दमा भी बढ़ा सकती हैं।
मानसिक रोग- मानसिक रोग हो जाते हैं, जैसे मन की उदासी, याददाशत कमजोर होना, वहम व शक की बीमारी। कई बार कन्फ्यूकान और भ्रम की स्थिति पैदा हो जाती है।
सिर दर्द और माइग्रेन- दर्दनिवारक गोलियां सिरदर्द और माइग्रेन की समस्या से निजात दिलाने की जगह चीजों को और खराब कर देती हैं।
क्या है डॉक्टर की सलाह?
♦ अगर किसी व्यक्ति को पेनकिलर्स लेने की लत लग जाए, तो उसे मनोचिकित्सक के पास ले जाएं।
♦ मरीज को दवाओं के कोर्स के जरिये नशामुक्त किया जाता है। इस कोर्स को बिना अस्पताल में दाखिल हुए भी लिया जा सकता है।
♦ मरीज को दोबारा नशे का सेवन करने से हटाने के लिए कुछ दवाएं देनी पड़ती हैं और साथ ही काऊंसलिंग के लिए भी जाना पड़ता है।
♦ नशे के सेवन से हुए नुक्सानों को ठीक करने के लिए 4-6 महीने तक दवा लेनी पड़ती है।
♦ इसलिए अगली बार पेनकिलर खाने से पहले सोचें। साथ ही डॉक्टरी सलाह के बगैर भी पेनकिलर न खाएं।
हमेशा रखें इन बातों का ध्यान
पेन किलर दवाओं के साइड एफेक्ट्स से बचने के लिए यह जानना भी जरूरी है कि आप पेन किलर लेते वक्त ऐसी कौन सी गलती कर रहे हैं जिससे आपको साइड एफेक्ट झेलना पड़ सकता है।
खाली पेट पेन किलर न लें - खाली पेट पेन किलर दवाएं लेने से शरीर में गैस्ट्रिक या एसिडिटी बहुत अधिक बढ़ जाती हैं जिससे तबियत और बिगड़ सकती है। हमेशा पेन किलर लेने से पहले थोड़ी डाइट जरूर लें।
एल्कोहल से बरतें दूरी - एल्कोहल और पेन किलर का कांबिनेशन आपको स्ट्रोक या हार्ट अटैक तक की स्थिति में पहुंचा सकता है। चूंकि पेन किलर दवाएं और एल्कोहल, दोनों ही एसिडिटी बढ़ाते हैं तो आप सोच सकते हैं कि इन दोनों का प्रभाव कितना नकारात्मक हो सकता है।
पानी की कमी न होने दें - भले ही आप दवा दो घूंट पानी से लेते हों लेकिन दवा लेने के बाद शरीर में पानी की कमी न हो इसका पूरा ध्यान रखें। आप जब दवा लेते हैं तो किडनी के पूरे सिस्टम पर उसका सीधा प्रभाव पड़ता है। ऐसे में अच्छी मात्रा में पानी के सेवन से दवाओं का टॉक्सिन तेजी से शरीर से बाहर निकलता है और साइड एफेक्ट की आशंका कम हो जाती है।
दवा को तोड़ कर या क्रश करके न लें - कई बार लोगों को पूरी गोली निगलने में दिक्कत होती है, खासतौर पर बच्चे दवा खाने में बहुत आनाकानी करते हैं। ऐसे में हम दवाओं को तोड़कर या क्रश करके उन्हें खिला देते हैं। ऐसे में दवा का पूरा डोज तेजी से शरीर में घुलता है और कई बार हमारा शरीर उसके प्रभाव को संभाल नहीं पाता और यह दवा के ओवरडोज की तरह काम करता है।ऐसे में अगर आपको पूरी एक टैबलेट लेनी है तो उसे तोड़कर लेने के बजाय पूरी निगलें। हां, दवा के आधे डोज के लिए तोड़ने में कोई दिक्कत नहीं है।
इसे अपनी लत न बनाएं - कई बार लोग थकान मिटाने और दर्द से आराम के लिए पेन किलर दवाओं के इतने आदी हो जाते हैं कि दवाएं उनके रुटीन का हिस्सा हो जाती हैं।लंबे समय तक इनका इस्तेमाल किडनी, लिवर और कई मानसिक समस्याओं का कारण हो सकता है।
एक बार में एक से अधिक पेन किलर न लें- दर्द कितना भी तेज हो लेकिन इसका मतलब यह कतई नहीं है कि आप में एक से अधिक पेन किलर लें।
किसी भी पेन किलर का प्रभाव पता चलने में कम से कम 15 से 30 मिनट तो लगते ही हैं। ऐसे में अगर आप बेसब्र होकर पेन किलर की ओवरडोज करेंगे तो ब्लीडिंग, किडनी फेल्योर, दिल का दौरा, ब्लड क्लॉटिंग जैसे साइड एफेक्ट हो सकते हैं।
पेन किलर दवाओं की हल्की डोज आपके दर्द को राहत पहुंचाने के लिए ही है, लेकिन कई बार हमारी जरा सी लापरवाही दर्द कम करने के बजाय हमारे लिए और बड़े दर्द का सबक हो सकती है।
रासायनिक बनावट के आधार पर कई तरह की पेनकिलर्स बाजार में उपलब्ध हैं। कुछ पेनकिलर्स नशीली नहीं होतीं, यानी उनको लेने से हम उनके आदी नहीं होते। लेकिन कुछ ऐसी पेनकिलर्स भी हैं, जिनका लगातार सेवन करने से दिमाग व शरीर इन पर निर्भर करने लगते हैं और हम उनके गुलाम बन जाते हैं। दोनों तरह की पेनकिलर्स खतरनाक हो सकती हैं, अगर इनका सेवन डक्टर की सलाह के बगैर किया जाए या डाक्टरी सलाह से कहीं अधिक समय के लिए किया जाए।
पेनकिलर्स के बार-बार सेवन करने से व्यक्ति इनका आदी हो जाता है। नतीजा यह होता है कि एक साधारण दर्द को ठीक करते-करते व्यक्ति इन गोलियों के एडिक्शन की खतरनाक बीमारी के चंगुल में फंस जाता है। कुछ समय तक लगातार पेनकिलर्स लेने के पश्चात अगर इन्हें एकदम बंद कर दिया जाए, तो भी सेहत संबंधी कई तरह की परेशानियां हो सकती हैं, जैसे सारे शरीर में असहनीय दर्द, घबराहट, बेचैनी, गुस्सा, दस्त, लगातार छींकें आना, नींद न आना, आंखों और नाक से पानी निकलना इत्यादि।।
ये हो सकते हैं साइड एफेक्ट्स
गैसट्राइटिस (पेट में सूजन)- पेन किलर यानी दर्द निवारक दवा पेट के अल्सर की बड़ी वजह बन रही है। पेट के अंदर जख्म बनना, उनसे खून का रिसाव, कयादा एसिड बनना, छाती में जलन जैसी परेशानियां हो जाती हैं। इनके चलते पेट में दर्द, खट्टे डकार, उल्टियां जैसे लक्षण पैदा हो जाते हैं।
जिगर की सूजन- जिगर (लिवर) के सैल्स का खत्म होना, इसके चलते भूख का कम होना, खाना हकाम न कर पाना जैसी परेशानियां।
किडनी प्रॉब्लम्स- पेनकिलर्स किडनी को बहुत नुक्सान पहुंचाती हैं। जिंदगी में एक हजार से कयादा पेनकिलर्स खाने से किडनी खराब हो सकती है। किडनी के सैल्स को नुक्सान पहुंचता है, जिससे धीरे-धीरे किडनी का फंक्शन कमजोर होता जाता है। इसे एनलजैसिक नैफरोपैथी कहा जाता है।
ब्लड डिस्क्रेसिया- कुछ पेनकिलर्स से खून की रचना में बदलाव आने लगते हैं, जिसे ब्लड डिस्क्रेसिया कहा जाता है। यह जानलेवा भी साबित हो सकता है।
दमा पर असर- कुछ पेनकिलर्स दमा भी बढ़ा सकती हैं।
मानसिक रोग- मानसिक रोग हो जाते हैं, जैसे मन की उदासी, याददाशत कमजोर होना, वहम व शक की बीमारी। कई बार कन्फ्यूकान और भ्रम की स्थिति पैदा हो जाती है।
सिर दर्द और माइग्रेन- दर्दनिवारक गोलियां सिरदर्द और माइग्रेन की समस्या से निजात दिलाने की जगह चीजों को और खराब कर देती हैं।
क्या है डॉक्टर की सलाह?
♦ अगर किसी व्यक्ति को पेनकिलर्स लेने की लत लग जाए, तो उसे मनोचिकित्सक के पास ले जाएं।
♦ मरीज को दवाओं के कोर्स के जरिये नशामुक्त किया जाता है। इस कोर्स को बिना अस्पताल में दाखिल हुए भी लिया जा सकता है।
♦ मरीज को दोबारा नशे का सेवन करने से हटाने के लिए कुछ दवाएं देनी पड़ती हैं और साथ ही काऊंसलिंग के लिए भी जाना पड़ता है।
♦ नशे के सेवन से हुए नुक्सानों को ठीक करने के लिए 4-6 महीने तक दवा लेनी पड़ती है।
♦ इसलिए अगली बार पेनकिलर खाने से पहले सोचें। साथ ही डॉक्टरी सलाह के बगैर भी पेनकिलर न खाएं।
हमेशा रखें इन बातों का ध्यान
पेन किलर दवाओं के साइड एफेक्ट्स से बचने के लिए यह जानना भी जरूरी है कि आप पेन किलर लेते वक्त ऐसी कौन सी गलती कर रहे हैं जिससे आपको साइड एफेक्ट झेलना पड़ सकता है।
खाली पेट पेन किलर न लें - खाली पेट पेन किलर दवाएं लेने से शरीर में गैस्ट्रिक या एसिडिटी बहुत अधिक बढ़ जाती हैं जिससे तबियत और बिगड़ सकती है। हमेशा पेन किलर लेने से पहले थोड़ी डाइट जरूर लें।
एल्कोहल से बरतें दूरी - एल्कोहल और पेन किलर का कांबिनेशन आपको स्ट्रोक या हार्ट अटैक तक की स्थिति में पहुंचा सकता है। चूंकि पेन किलर दवाएं और एल्कोहल, दोनों ही एसिडिटी बढ़ाते हैं तो आप सोच सकते हैं कि इन दोनों का प्रभाव कितना नकारात्मक हो सकता है।
पानी की कमी न होने दें - भले ही आप दवा दो घूंट पानी से लेते हों लेकिन दवा लेने के बाद शरीर में पानी की कमी न हो इसका पूरा ध्यान रखें। आप जब दवा लेते हैं तो किडनी के पूरे सिस्टम पर उसका सीधा प्रभाव पड़ता है। ऐसे में अच्छी मात्रा में पानी के सेवन से दवाओं का टॉक्सिन तेजी से शरीर से बाहर निकलता है और साइड एफेक्ट की आशंका कम हो जाती है।
दवा को तोड़ कर या क्रश करके न लें - कई बार लोगों को पूरी गोली निगलने में दिक्कत होती है, खासतौर पर बच्चे दवा खाने में बहुत आनाकानी करते हैं। ऐसे में हम दवाओं को तोड़कर या क्रश करके उन्हें खिला देते हैं। ऐसे में दवा का पूरा डोज तेजी से शरीर में घुलता है और कई बार हमारा शरीर उसके प्रभाव को संभाल नहीं पाता और यह दवा के ओवरडोज की तरह काम करता है।ऐसे में अगर आपको पूरी एक टैबलेट लेनी है तो उसे तोड़कर लेने के बजाय पूरी निगलें। हां, दवा के आधे डोज के लिए तोड़ने में कोई दिक्कत नहीं है।
इसे अपनी लत न बनाएं - कई बार लोग थकान मिटाने और दर्द से आराम के लिए पेन किलर दवाओं के इतने आदी हो जाते हैं कि दवाएं उनके रुटीन का हिस्सा हो जाती हैं।लंबे समय तक इनका इस्तेमाल किडनी, लिवर और कई मानसिक समस्याओं का कारण हो सकता है।
एक बार में एक से अधिक पेन किलर न लें- दर्द कितना भी तेज हो लेकिन इसका मतलब यह कतई नहीं है कि आप में एक से अधिक पेन किलर लें।
किसी भी पेन किलर का प्रभाव पता चलने में कम से कम 15 से 30 मिनट तो लगते ही हैं। ऐसे में अगर आप बेसब्र होकर पेन किलर की ओवरडोज करेंगे तो ब्लीडिंग, किडनी फेल्योर, दिल का दौरा, ब्लड क्लॉटिंग जैसे साइड एफेक्ट हो सकते हैं।
पेन किलर दवाओं की हल्की डोज आपके दर्द को राहत पहुंचाने के लिए ही है, लेकिन कई बार हमारी जरा सी लापरवाही दर्द कम करने के बजाय हमारे लिए और बड़े दर्द का सबक हो सकती है।
सिर दर्द में पेन टेबलेट खतरनाक बहुत अच्छी जानकारी है... धन्यवाद आप गूगल में है मेरे ब्लॉग साझा करें .
जवाब देंहटाएंहम तो दवा की बजाय राम का नाम लेते हैं और दर्द उड़न छू हो जाता है.
जवाब देंहटाएंसार्थक पोस्ट...
bahut hi sundar aur gunkari prastuti
जवाब देंहटाएंअत्यंत उपयोगी जानकारी.
जवाब देंहटाएंरामराम.
सार्थक एंव शानदार पोस्ट राजेन्द्र जी,निजी कारणों से कुछ दिन नेट से दूर रहा इसी वजह से आपकी कुछ पोस्ट पर नहीं आ पाया,इसके लिए खेद व्यस्त करता हूँ।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद स्वास्थ्य इस बुलेटिन के लिए। प्रत्युत्तरों हेतु धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंबहुत उपयोगी जानकारी
जवाब देंहटाएंसच कहा अहि खाली पेट तो नहीं लेने चाहियें ये पेन किल्लर ...
जवाब देंहटाएंमुकसान ज्यादा करते हैं ...
बहुत उपयोगी जानकारी के लिए आभार.....
जवाब देंहटाएंupyogi jaankari
जवाब देंहटाएंsach mey hum dhyan hi nahi dete.....bahut upyogi jankari...shukriya
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी और लाभकारी जानकारी....आभार
जवाब देंहटाएं